कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार को राज्य में 9 अक्टूबर तक 28,000 दुर्गा पूजा समितियों को दस हजार रुपये का अनुदान देने पर रोक लगा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देबाशीष के गुप्ता और न्यायाधीश सम्पा सरकार की संयुक्त खंडपीठ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश को न्यायालय में चुनौती दिए जाने वाली याचिका पर यह आदेश दिया।
न्यायमूर्ति गुप्ता ने खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाने से हैरानी की क्या संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है जो प्रशासन को दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक उत्सव के लिए राजकोष से धन देने की अनुमति देता है। उन्होंने सवाल किया,’क्या पूजा समिति को धन देने के लिए उचित दिशा निर्देश जारी किए गए।’
खंडपीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या समितियों का बही खाता सही है? क्या धन केवल दुर्गा पूजा के लिए दिया जाता है? क्या धन अन्य त्योहारों को भी दिया जाता है? खंडपीठ ने 19 सितंबर को उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर होने के बावजूद दुर्गा पूजा समितियों को पैसे आवंटित करने के संबंध में 24 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की कड़ी निंदा की।
खंड पीठ ने पूछा,’ उच्च न्यायालय के समक्ष मामला आने के बाद सरकार इस तरह के गैर जिम्मेदाराना हरकत कैसे कर सकती है।’ खंडपीठ ने राज्य सरकार से मंगलवार तक अदालत में हलफनामा दाखिल करके इस संबंध में जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
ममता सरकार ने दुर्गा पूजा के लिए 28 करोड़ का किया ऐलान, इमामों ने किया विरोध
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 10 सितंबर को कहा था कि कोलकाता में सभी तीन हजार और राज्य में लगभग 25,000 दुर्गा पूजा की प्रत्येक समितियों को दस हजार रुपये मिलेंगे। कोलकाता में कोलकाता नगर निगम, अग्निशमन सेवा और कोलकाता पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि सभी समुदायिक पूजा आयोजकों को सामुदायिक विकास कार्यक्रम के तहत अनुदान मिले। उसके बाद कोलकाता पुलिस आयोजकों को धन देगी।
उन्होंने काहा था कि इस काम में राजकोष से 28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मुख्यमंत्री ने बताया था कि उन्होंने कलकत्ता विद्युत आपूर्ति निगम को समुदायिक पूजा आयोजकों को 20 प्रतिशत से 23 प्रतिशत तक की छूट देने के आदेश दिये। उन्होंने कहा था,’ मैं कोलकाता नगर निगम, शहरी विकास और अग्निशमन विभाग से कोई लाइसेंस फीस नहीं लगाने के लिए कहूंगी।’