नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में अब पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) का इस्तेमाल करने का अधिकार मिल गया है। जिसका इस्तेमाल उस शख्स पर किया जाएगा, जो देश को नुकसान पहुंचा रहा होगा। इस कानून की विशेषता ये है कि पुलिस इसका इस्तेमाल करते हुए बिना किसी सबूत के हिरासत में लेकर जेल भेज सकती है।
इतना ही नहीं आरोपी को एक साल तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। बता दें कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अधिसूचना जारी कर नवीनीकरण (रिन्यू) किया। साथ ही पुलिस को ये विशेष अधिकार दे दिया है। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि ये एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। हर तीन महीने पर इस संबंध में अधिसूचना का नवीनीकरण किया जाता है। यह अधिकार आयुक्त को पहले से मिला हुआ है।
इस संबंध में उपराज्यपाल द्वारा 10 जनवरी को आदेश पारित किया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत यदि सरकार को लगता है कि कोई शख्स समाज और देश के लिए खतरा साबित हो रहा है तो उस पर इस कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
निचली अदालत में भी अपील नहीं कर सकता आरोपी : एक ओर इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए आरोपी को एक साल तक जेल में रहना पड़ सकता है। इतना ही नहीं कानून के तहत गिरफ्तार किए गए आरोपी को निचली अदालत में अपील करने का अधिकार भी होता है।
वह केवल हाई कोर्ट में उसकी अपील दायर कर सकता है। इसके अलावा इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति के संबंध में हाईकोर्ट भी पुलिस से तुरंत सुबूत नहीं मांग सकती। पुलिस खुद छह माह के भीतर सुबूत दे सकती है। शुक्रवार को जारी हुई ये अधिसूचना 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी।
वकील रखने की अनुमति भी नहीं
इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी और राज्य सरकार भी अपने सीमित दायरे में कर सकती हैं। कानून के मुताबिक रासुका के तहत गिरफ्तार आरोपी पर आरोप तय किए बिना भी 10 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया आरोपी हाईकोर्ट के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है। लेकिन उसे कोर्ट में पेशी के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं होगी।