केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को डेनमार्क में जलवायु शिखर सम्मेलन में शिरकत करने की इजाजत नहीं देने के फैसले का बुधवार को बचाव करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम ‘मेयर स्तर के’ प्रतिभागियों के लिए है। वहीं, इस निर्णय से नाराज ‘आप’ ने इसे ‘‘बेतुका बहाना’’ और दिल्ली के लोगों का अपमान बताया है।
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को बताया था कि केजरीवाल को डेनमार्क के कोपनहेगन में सी-40 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार दोपहर दो बजे रवाना होना था लेकिन वह नहीं जा सके। दरअसल, विदेश मंत्रालय ने अनुरोध की जांच की और राजनीतिक दृष्टिकोण से मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘‘ यह मेयर स्तर का सम्मेलन था’’ और पश्चिम बंगाल का एक मंत्री इसमें हिस्सा लेने जा रहा है।
बाद में केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के लिए एक अलग प्रोटोकॉल होता है और उन्होंने इन दावों को खारिज किया कि विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि केजरीवाल को विश्व मेयर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की सलाह दी गई थी क्योंकि पैनल चर्चा में वक्ता के रूप में उनकी यात्रा अन्य देशों की भागीदारी के स्तर के अनुरूप नहीं है।
केजरीवाल के लिये राजनीतिक मंजूरी के बारे में मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘ राजनीतिक मंजूरी के विषय पर विदेश मंत्रालय द्वारा एक सुविचारित फैसला कई बातों पर आधारित है और इस फैसले को लेते समय समारोह की प्रकृति, अन्य देशों की भागीदारी का स्तर, दिए गए आमंत्रण का स्वरूप आदि को ध्यान में रखा गया।’’
इस बीच, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में यह ममाला उठाएगी।
सिंह ने कहा कि शीला दीक्षित ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि यह ‘‘बहुत ही बेतुका बहाना’’है।
आप के एक अन्य नेता राघव चड्ढा ने कहा कि केजरीवाल के संबंध में जावड़ेकर का बयान ‘‘गलत एवं भ्रामक’’ है।
इस बीच, दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘दिल्ली के लोग यह जानना चाहते हैं कि वह (केजरीवाल) मुख्यमंत्री हैं या मेयर।’’
गौरतलब है कि केजरीवाल को सम्मेलन के लिये नौ से 12 अक्टूबर के बीच आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना था।