राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, जिसे देखते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर सर्दियों में शहर में प्रदूषण के कारणों का पता लगाने के लिए मंत्रालय के वायु गुणवत्ता एवं मौसम अनुमान और अनुसंधान (सफर) के आंकड़े व प्रौद्योगिकी को साझा करने का आग्रह किया।
गहलोत ने अपने पत्र में कहा कि नवंबर में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में पीएम2.5 के स्तर में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि ‘सफर’ के अंतर्गत बताया गया था कि दिल्ली में पराली जलाने से कुल पीएम2.5 की सघनता में केवल 2 फीसदी की बढ़ोतरी होती है और ऐसी संभावना है कि 15 अक्टूबर तक यह बढ़कर 6 फीसदी हो जाएगा।
उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि आपका मंत्रालय भी दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को लेकर बराबर चिंतित है और दोनों सरकारें दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को घटाने के लिए साथ मिलकर काम कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधीन वायु गुणवत्ता निरीक्षण स्टेशन पीएम 2.5 सघनता के बाबत डेटा प्रदर्शित करने में सक्षम है।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सफर के पास दिल्ली में किसी खास दिन पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने से प्रदूषण में योगदान के बारे में बताने की प्रौद्योगिकी है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि ‘सफर’ के पास रियल-टाइम आधार पर प्रदूषण के आवंटन से संबंधित प्रौद्योगिकी और सामग्री है।
उन्होंने इस बाबत हर्षवर्धन से आंकड़े उपलब्ध कराने का आग्रह किया। गहलोत ने अपने पत्र के अंत में लिखा, मैं इस संबंध में ‘सफर’ द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता को साझा करने का आग्रह करता हूं, ताकि दिल्ली सरकार को भी इससे फायदा हो सके।