उत्तरी दिल्ली : कपड़ा व्यपारियों द्वारा मंगलवार से बुलाए 72 घंटे के बंद का पहला दिन सफल रहा। दिल्ली में चांदनी चौक, गांधी मार्केट, टैंक, अशोक विहार, सुभाष रोड रोड, राम नगर, लाजपत नगर, रमेश पार्क और लक्ष्मी नगर समेत लगभग सभी थोक मार्केट बंद रहे। इससे पहले सुबह व्यपारियों ने चांदनी चौक के घंटाघर पर तीन घंटे का धरना भी दिया। व्यापारी कपड़े को जीएसटी में पांच प्रतिशत टैक्स वर्ग में रखने का विरोध कर रहे हैं। बंद के समर्थन में दिल्ली साड़ी मर्केंटाइल एसोसिएशन और जोगी वाड़ा साड़ी एसोसिएशन समेत हजारों की संख्या में व्यापारियों ने जुलुस भी निकाला। यह जुलुस घंटाघर से होता हुआ लालकिले तक गया।
व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 1956 में संसद में कानून बनाकर कपड़े को आवश्यक वस्तु के अंतर्गत रखा गया था। इस वजह से इस पर सेल्स टैक्स को हटाया गया था। अब ऐसा क्या हो गया कि आवश्यक वस्तु के अंतर्गत आने वाले कपड़े पर टैक्स लगाया जा रहा है। वर्ष 1956 से लेकर वैट लागू होने तक सेल्स टैक्स के बदले मे एडिशनल एक्साइज ड्यूटी प्रोडक्शन सेंटर पर एकत्रित की जाती थी। उसे बाद में आबादी के अनुसार प्रान्तों में बांट दिया जाता था। ऐसी व्यवस्था जीएसटी में क्यों नहीं हो सकती? इस अवसर पर दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण सिंघानिया ने बताया कि देश के विकास के लिए हम टैक्स देने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस व्यवस्था में व्यापारी अपना व्यापार करेगा या सरकारी कागजों की खानापूर्ति करेगा। देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से अपील की कि वो व्यापारियों के दु:ख दर्द को समझें और कपड़े को जीएसटी से मुक्तकरें।