दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के खालसा कॉलेज में छात्र संगठनों के बीच हुई झड़प ने राजनीति को गर्मा दिया है। इस घटना में एक छात्र की पगड़ी गिरने से मामला और भी गंभीर हो गया है। यह घटना न केवल कॉलेज के वातावरण को प्रभावित कर रही है, बल्कि इसे एक बड़े राजनीतिक विवाद का विषय भी बना दिया है।
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रविवार को खालसा कॉलेज में एक गुट डूसू चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने जा रहा था, तभी अचानक दूसरे गुट ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। दोनों पक्षों के बीच शुरू में बहस हुई, जो जल्दी ही हाथापाई में बदल गई। इस झड़प के दौरान एक छात्र की पगड़ी गिर गई, जिससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। छात्र ने आरोप लगाया कि उसके बाल खींचे गए और उसे पिटाई का सामना करना पड़ा। इस घटना ने कॉलेज में तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया है।
मौरिस नगर थाने में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर में धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर किया गया कार्य), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 351 (2) (आपराधिक धमकी) जैसी धाराएं शामिल हैं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें छात्रों के एक समूह को प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर एक छात्र की पिटाई करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो सार्वजनिक क्षेत्र में आने के बाद से मामला और भी संवेदनशील बन गया है।
कॉलेज के प्रिंसिपल, गुरमोहिंदर सिंह, ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र लिखकर कहा है कि कॉलेज अपने स्वयं के छात्र चुनाव आयोजित करेगा। यह निर्णय दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के निर्देशों के बाद लिया गया है। प्रिंसिपल ने स्पष्ट किया कि कॉलेज के अपने चुनावों में स्टाफ़ सलाहकार समिति द्वारा पदाधिकारियों को नामित किया जाएगा। हालांकि, इस निर्णय के खिलाफ आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और कांग्रेस के राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के छात्र एकत्र होकर अपनी आपत्तियां व्यक्त कर रहे हैं। एबीवीपी ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली की एक अदालत में याचिका भी दायर की है, जिसमें डीएसजीएमसी कॉलेजों को डीयूएसयू से अलग करने को चुनौती दी गई है।
इस झड़प ने कॉलेज में छात्र संगठनों के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। एबीवीपी और एनएसयूआई के सदस्य एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, जिससे स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। छात्रों के बीच इस संघर्ष ने न केवल कॉलेज के वातावरण को प्रभावित किया है, बल्कि यह राजनीतिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। दोनों संगठनों के बीच की तनातनी ने चुनावी माहौल को भी गरमा दिया है, जिससे आगामी डूसू चुनावों में एक नई राजनीतिक लड़ाई की संभावना बढ़ गई है।
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