यमुना नदी की सफाई पर असंतोष जताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को पर्यावरण संरक्षण करने में अपनी नाकामी को लेकर कार्य निष्पादन गारंटी के तौर पर 50 लाख रूपया जमा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया। अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्राधिकरणों की नाकामी से नागरिकों का जीवन एवं स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और यमुना जैसी नदी के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो रहा है। पीठ में न्यायमूर्ति एस पी वांगडी और के. रामकृष्ण भी शामिल हैं।
एनजीटी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को कार्य निष्पादन गारंटी रकम दो हफ्तों के अंदर जमा करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि ऐसा करने में नाकाम रहने पर वह इसके उपाध्यक्ष को तलब करेगा। पीठ ने कहा कि यदि प्राधिकरण समयबद्ध तरीके से उठाये जाने वाले कदमों की पहचान नहीं करेंगे, तो अधिकरण और निगरानी समिति की कोशिश व्यर्थ जाएंगी।
अधिकरण ने कहा, ‘‘कोई भी नियामक प्राधिकार मूकदर्शक बना नहीं रह सकता और उसे इस तरह के प्रदूषण को सख्ती से रोकने के लिए अपनी शक्तियों के इस्तेमाल में अवश्य ही सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।’’ गौरतलब है कि इससे पहले भी अधिकरण ने यमुना की सफाई पर असंतोष जताया था और दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश सरकारों को एक महीने के अंदर दस- दस करोड़ रूपये की कार्य निष्पादन गारंटी जमा करने का निर्देश दिया था।