नई दिल्ली : प्रधानमंत्री का स्वच्छता ही सेवा अभियान भी पूर्वी दिल्ली को साफ करने में नाकाम साबित हुआ। पूरा स्वच्छता पखवाड़ा ही निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल, निगम नेताओं और कमिश्नर के बीच चले घमासान की भेंट चढ़ गया। इन सबका खामियाजा भुगतना पड़ा ईस्ट दिल्ली में रहने वाले लोगों को जिनके घरों के आगे से लेकर मेन रोड तक कूड़े और गंदगी का ढेर लगा हुआ है। गांधी जयंती के अवसर पर भी ईस्ट एमसीडी कहीं भी सफाई कराने में सफल नहीं हो पाई। कमिश्नर को हटाने को लेकर हाउस की बैठक तक बुलाई गई लेकिन सियासी चाल के चलते हुए ईस्ट एमसीडी की सत्ता में बैठे निगम नेताओं ने हाउस में यह झूठ बोलने से भी नहीं कतराए कि कमिश्नर का ट्रांसफर हो गया है। जबकि हकीकत यह थी कि कमिश्नर छुट्टी पर गए हैं।
हालांकि अभी भी इस समस्या को कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। ईस्ट दिल्ली का शायद ही कोई ऐसा इलाका जहां पर कूड़े और गंदगी का ढेर न जमा हो। ईस्ट दिल्ली के पॉश इलाके से लेकर अनधिकृत कॉलोनियां तक इसकी चपेट में आ चुकी हैं। इसके कारण कई जगहों पर तो संक्रमण फैलने की भी खबरें आने लगी हैं। बावजूद इसके कोई हल निकालने के निगम नेता अधिकारियों को ही बाहर का रास्ता दिखाने में व्यस्त हैं। वहीं, मंगलवार को एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन की विशेष बैठक का आयोजन यूनियन के शाहदरा नॉर्थ में किया गया। बैठक में यूनियन के अध्यक्ष संजय गहलोत ने कहा कि हड़ताल के 20 दिन बीत जाने के बाद भी निगम और दिल्ली सरकार की और से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि ईस्ट एमसीडी की राजनीतिक विंग ने कमिश्नर का तबादला करके कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश की है लेकिन इससे हड़ताल का समाधान नहीं निकल पाया है। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों के हित मे कोई ठोस उपाय नही होगा, अबकी बार अंतिम बार का नारा बरकरार रहेगा। इस कड़ी में बुधवार को कर्मचारी निगम मुख्यालय का घेराव करेंगे और 4 सितंबर को एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घेराव किया जाएगा ।