राष्ट्रीय राजधानी के रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोग अब रोजाना दो वक़्त का भोजन खा पाएंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज ‘भोजन वितरण अभियान’ का शुभारंभ किया। इस अभियान में सामाजिक संगठन अक्षय पात्रा फाउंडेशन दिल्ली सरकार की मदद करेगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरायकाले खान स्थित दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) परिसर में इस योजना का शुभारम्भ किया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद रहे। उन्होंने खुद गरीबों को भोजन परोसा।
इस दौरान सीएम ने कहा कि हमारे रैन बसेरों में समाज के सबसे गरीब लोग रहते हैं। ऐसे लोग जो सड़क के किनारे सोने को मजबूर रहते हैं, वे लोग मौसम की मार से बचने के लिए रैन बसेरों में रहते हैं। यहां रहने वाले गरीब लोग किसी भी राजनीतिक दल के वोटर नहीं होते हैं क्योंकि इनमें ज्यादातर लोगों के पहचान पत्र नहीं बने हैं इसलिए सरकार इनकी तरफ़ ध्यान नहीं देती है लेकिन उनकी सरकार आने के बाद सबसे पहला काम इन रैन बसेरों की स्थिति में सुधार लाने का काम किया।
उन्होंने कहा कि पहले रैन बसेरों की स्थिति को लेकर अक्सर सरकार को हाईकोर्ट की तरफ से फटकार लगाई जाती थी लेकिन जब से उनकी सरकार आई है ऐसी कोई खबर किसी अखबार में नहीं देखने को मिलती है। उन्होंने स्वयं रैन बसेरों का निरीक्षण कर वहाँ के इंतेजामों को दुरुस्त किया, यही वजह है कि अब रैन बसेरों को देखकर लोग कहते हैं की दिल्ली सरकार ने सही मायने में ग़रीबों के लिए काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के 209 रैन बसेरों में करीब छह हज़ार लोग रह हैं और सर्दियों में इनकी संख्या बारह हज़ार पहुंच जाती है। सरकार ने कोविड के दौरान इन रैन बसेरों में रहने वाले लोगों के लिए खाने का इंतेजाम किया था अब अक्षय पात्रा फाउंडेशन सामने आया है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि अक्षय पात्रा और उनकी सरकार के बीच साझा कार्यक्रम शुरू हुआ है।
उन्होंने कहा कि गरीब से गरीब नागरिकों पर ध्यान देना एक जिम्मेदार सरकार का काम है और उनकी सरकार इस काम को जिम्मेदारी से कर रही है। उन्होंने गरीबों की मदद में हाथ बंटाने के लिए संस्थान का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर संस्थान के निदेशक ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने गरीबों मजदूरों और बेसहरा लोगों के लिए बेहतरीन काम किया। इस योजना के तहत उनकी संस्थान के लिए रैन बसेरों में रहने वालों को दो वक़्त का खाना मुहैया कराना सरकार की मदद के बिना सम्भव नहीं होता।