दिल्ली-एनसीआर हर साल की तरह इस भी प्रदूषण की समस्या से घिर गई है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई। पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बयान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखा हमला किया है।
केजरीवाल ने सवाल करते हुए कहा, “यदि पराली जलाने की वजह से केवल चार प्रतिशत प्रदूषण होता है, तो पिछले पखवाड़े में अचानक प्रदूषण क्यों बढ़ गया है? हवा इससे पहले साफ थी। हर साल एक ही कहानी। इनकार करते रहने से कोई लाभ नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में किसी अन्य स्थानीय स्रोत से प्रदूषण नहीं बढ़ा है, जो हाल में बढ़े प्रदूषण का कारण हो।’’
इससे पहले जावड़ेकर ने पराली जलाने को प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं बताते हुए कहा था, ‘‘केवल चार प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण है। इसके अलावा 96 प्रतिशत प्रदूषण बायोमास जलाने, कचरा फेंकने, कच्ची सड़कों, कचरे, निर्माण कार्यों और तोड़-फोड़ संबंधी गतिविधियों इत्यादि के कारण है।’’ आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि सीपीसीबी के 2019 के अपने अनुमान के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में 44 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण फैला।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को धुंध पसरने के साथ ही पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ स्तर पर पहुंच गई। क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत बिजली जनरेटर पर प्रतिबंध सहित वायु प्रदूषण रोधी कई सख्त उपायों को भी लागू कर दिया गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर तथा हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पर इसका प्रभाव फिलहाल कम है।