पराली का जलाया जाना सर्दी के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में वायु की खराब गुणवत्ता की समस्या के बड़े कारणों में से एक है। राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब श्रेणी में आती जा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को पराली जलाने के मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद करना चाहिए और इस समस्या के समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के किसान और दिल्ली के लोग पराली जलाये जाने का खामियाजा भुगत रहे हैं और ‘‘सरकारों ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं।’’ उन्होंने नरेला के हिरांकी गांव में संवाददाताओं से कहा, ''राज्य सरकारों को एक-दूसरे पर दोषारोपण बंद करना चाहिए। इस समस्या के समाधान के लिए हमलोगों को साथ काम करना है...सभी एजेंसियों एवं सरकारों को इसे गंभीरता पूर्वक लेने की जरूरत है।''
मुख्यमंत्री यहां पूसा जैविक अपघटक घोल के छिड़काव कार्यक्रम में हिस्सा लेने यहां आए थे। मंगलवार से यहां इसकी शुरूआत की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोल 15 से 20 दिनों में पराली को खाद में बदल सकता है, और इसलिए यह पराली को जलाने से रोक सकता है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार अगर पराली जलाने से रोकने का प्रयास कर सकती है तो दूसरे राज्यों की सरकारें भी ऐसा कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, ''जब यह प्रक्रिया अपने प्रारंभिक चरण में थी, तब मैने केंद्र सरकार से संपर्क करने का प्रयास किया, और अगर वे चाहते तो इस समस्या के समाधान के लिए हमारे साथ मिल कर इस पर काम कर सकते थे।'' केजरीवाल ने कहा, ''हमें सितंबर में ही पूसा संस्थान द्वारा विकसित इस तकनीक के बारे में पता चला। हमें ईमानदारी के साथ इस दिशा में साथ मिलकर काम करना होगा।''
दिल्ली की करीब 800 हेक्टेयर भूमि पर पूसा जैव अपघटक घोल का छिड़काव बिल्कुल मुफ्त किया जा रहा है, जहां गैर बासमती चावल की पैदावार होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में खेतों में लगाई जाने वाली आग की उन्हें चिंता है। उन्होंने कहा, ''धुएं ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करना शुरू कर दिया है....पिछले दस महीने से वायु प्रदूषण नियंत्रण में था, लेकिन यह फिर से प्रदूषित होना शुरू हो गया है।