कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच भारत में आज से कॉकटेल ड्रग यानी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का इस्तेमाल शुरू हो गया है। स्विट्जरलैंड की ड्रग कंपनी रोशे और सिप्ला ने इसे भारत में लॉन्च किया था। कॉकटेल ड्रग, एक बनी बनाई इम्यूनिटी है, जो कोविड के नए संक्रमित मरीज के इलाज में 70 फीसदी तक कारगर है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जब कोरोना हुआ था, तब उन्हें भी यह दवा दी गई थी। भारत में हरियाणा के 84 साल के मोहब्बत सिंह पहले मरीज हैं, जिन्हें कॉकटेल ड्रग दी गई है। कॉकटेल ड्रग को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये दवा अगर किसी कोरोना मरीज़ को दी जाती है, तो ये 70 फीसदी तक अपना असर करती, जिससे मरीज़ के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है।
क्या है कॉकटेल ड्रग्स, कैसे करती है काम
दो दवाओं का मिश्रण होने के कारण इस दवा को ‘कॉकटेल ड्रग्स’ का नाम दिया गया है। इसमें दो तरह की एंटीबॉडी ‘कासिरिविमैब’ और ‘इमडेविमैब’ का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वैरिएंट और म्यूटेशन के बाद भी यह काम करे। इसमें वायरस पर दो तरफ से हमला किया जाता है। इन दोनों दवाओं को 600-600 MG मिलाने पर कॉकटेल दवा तैयार होती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, कॉकटेल ड्रग्स वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता। इस तरह यह दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है। और ड्रग्स बॉडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है और संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है।
एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर ही है, इसे कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है। क्योंकि जितनी जल्दी कॉकटेल ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है, उतना अच्छा रिजल्ट आता है। दवा किया जा रहा है कि सिर्फ एक डोज में इससे इलाज संभव है। ओपीडी बेसिस पर मरीज को यह दवा दी जाती है। 30 मिनट लगता है कि इस दवा को देने में। उसके बाद मरीज को घर भेज दिया जाता है। मरीज का फॉलोअप किया जाता है। एक डोज की कीमत 59,750 रुपये तय की गई है।।