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कांग्रेस में घमासान : चाको के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान

दिल्ली कांग्रेस के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब दिल्ली कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा प्रदेश अध्यक्ष (प्रस्तावित) के साथ-साथ प्रदेश प्रभारी पीसी चाको के खिलाफ खड़े हो गए हैं।

नई दिल्ली : दिल्ली कांग्रेस के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब दिल्ली कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा प्रदेश अध्यक्ष (प्रस्तावित) के साथ-साथ प्रदेश प्रभारी पीसी चाको के खिलाफ खड़े हो गए हैं। कांग्रेस दिल्ली में बड़े स्तर पर दोनों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों, जिलाध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों, पूर्व नगर निगम पार्षद व कांग्रेस के नेता इस अभियान के तहत हस्ताक्षर कर रहे हैं। 
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद से ही शीला समर्थित गुट पीसी चाको को हटाने की लगातार मांग कांग्रेस आलाकमान से कर रहे हैं। उनका आरोप है कि चाको ने दिल्ली में कांग्रेस को हाशिए पर पहुंचा दिया है। यहां तक की शीला दीक्षित के निधन के पीछे भी चाको द्वारा दी जा रही मानसिक तनाव को उन्होंने जिम्मेदार ठहराया है। हाल ही में शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने एक पत्र लिख कर यह बात भी उठाई थी, बाद में यह पत्र मीडिया में लीक हो गई जिसके बाद कांग्रेस के भीतर घमासान छिड़ गया। 
कांग्रेस का एक गुट चाको को पद से हटाने की मांग को लेकर गत शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस तक कर दी। उसके बाद मामला और गंभीर हो गया। कांग्रेस के इस गुट का कहना है कि पीसी चाको ने प्रदेश में कांग्रेस के संगठन को खड़ा करने के स्थान पर गुटबाजी को हवा दी है। उनका कहना है कि प्रदेश प्रभारी का काम होता है ​कि संगठन में गुटबाजी को हावी न होने दें, सभी गुटों को साथ लेकर चलें, लेकिन चाको ने स्वंय ही गुटबाजी खड़ी कर दी। 
यहां यह बता दें कि चाको पर पूर्व अध्यक्ष अजय माकन गुट को समर्थन देने का लगातार आरोप लगते रहे हैं। यह बात लोकसभा चुनाव में खुलकर सामने आ गई जब कांग्रेस और आप पार्टी के बीच गठबंधन से चुनाव लड़ने की बात सामने आने लगी थी। चाको पर अजय माकन के गुट को बढ़ाने की मोहर लगी हुई है। दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब किसी प्रदेश प्रभारी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने की जरूरत पड़ी है।
प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा भी खटाई में… जिस दिन कांग्रेस के एक गुट ने प्रेस कांफ्रेंस की थी उसी दिन प्रदेश अध्यक्ष की आधिकारिक घोषणा होनी थी, लेकिन इस विवाद को देखते हुए उसे फौरी तौर पर टाल दिया गया। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाम के रूप में कीर्ति आजाद का नाम फाइनल हो गया था। लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा भी ​खटाई में पड़ गई है। कांग्रेसियों का यह गुट पीसी चाको के साथ-साथ कीर्ति आजाद को भी प्रदेश अध्यक्ष नहीं चाहते हैं। वैसे कीर्ति आजाद पर प्रदेश के दूसरे गुट के नेता भी पूरी तरह से सहमत नहीं है। 
यानी की दिल्ली की पूरी कांग्रेस कीर्ति आजाद के नाम से संतुष्ट नहीं हैं। उनका तर्क है कि अध्यक्ष दिल्ली का ही होना चाहिए, जिन्हें दिल्ली के बारे में, संगठन के बारे में जानकारी नहीं उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए। साथ ही कीर्ति आजाद पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह संघ विचारधारा से जुड़े रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस की अलग विचारधारा को वह स्वीकार नहीं कर पाएंगे?

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