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कांग्रेस तीन तलाक संबंधित विधेयक पर राज्यसभा में नहीं लाये संशोधन

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सरकार ने आज कांग्रेस से अनुरोध किया कि मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक कहे जाने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने के प्रावधान वाला विधेयक जब राज्यसभा में आये तो वह किसी संशोधन पर जोर न दे। लोकसभा मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है और कल इसके राज्यसभा में लाये जाने की संभावना है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार चाहेगी कि कांग्रेस संशोधन पर बल नहीं देने के अपने उसी रूख पर कायम रहे जो उसने लोकसभा में अपनाया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमारी कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से निरंतर बातचीत चल रही है। हमने कांग्रेस से कहा है कि चूंकि उन्होंने लोकसभा में किसी संशोधन पर बल नहीं दिया है, उन्हें राज्यसभा में भी यही करना चाहिए। कांग्रेस ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर लोकसभा में संशोधन पेश किया था किन्तु उन्हें पारित करवाने पर उसने बल नहीं दिया। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार इस विधेयक को चर्चा एवं पारित करवाने के लिए कल राज्यसभा में रख सकती है।

कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रेणुका चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा महिलाओं के सशक्तिकरण के पक्ष में रही है किन्तु पार्टी को यह देखना होगा कि विधेयक में वास्तव में क्या है। रेणुका ने कहा, महिलाओं के सशक्तिकरण के पक्ष में हम खड़ न हो, यह सवाल ही नहीं उठता। इसका कोई स्पष्ट समाधान नहीं है। हमें देखना होगा कि चर्चा कैसे होती है…वास्तव में क्या शामिल किया गया है और इसे कैसे लागू किया जा सकता है। साथ ही यह तलाक के हर प्रावधान के तहत सभी महिलाओं के लिए समान होना चाहिए। यह केवल तलाक ए बिद्दत है। शिवसेना जैसी भाजपा की कुछ सहयोगी पार्टियां इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रही हैं पर सरकार का मानना है कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि इस पर लोकसभा में व्यापक चर्चा हो चुकी है। केन्द्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा, किसी समिति में जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है। तीन तलाक से प्रभावित महिलाओं का क्या होगा? देश में इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि कठोर कानून होना चाहिए। मुस्लिम महिलाओं के संरक्षण के लिए कोई एहतियाती तंत्र होना चाहिए। मैं आश्वस्त हूं कि राज्यसभा में सभी पार्टियां सहयोग करेंगी।

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