कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के सांसदों ने आज संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर मांग की कि केन्द्र सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जाति/जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून पर फैसले की पुनरीक्षा करने का आग्रह करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के तहत तुरंत गिरफ्तारी के कठोर प्रावधानों को मंगलवार को अपने फैसले में शिथिल किया था।
इस फैसले के तहत समुचित दायित्व निभाने वाले ईमानदार सरकारी कर्मचारियों को अजा/अजजा कानून के जरिये कथित रूप से ब्लैकमेल करने से बचाने के लिए उपाय किये गये हैं। प्रदर्शन करने वाले सांसदों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले में समुचित ढंग से दलील पेश नहीं की।
उन्होंने कहा कि सरकार पुनरीक्षा याचिका दायर करे। उन्होंने कानून में संशोधन की भी मांग की। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद के बाहर एक समाचार चैनल से कहा, ”अजा/अजजा कानून के बारे में सुप्रीम कोर्ट की ताजा व्याख्या के परिणामस्वरूप कानून का (करीब करीब) खात्मा हो गया है। सरकार ने इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष समुचित ढंग से दलील नहीं दी।”
उन्होंने कहा, ”लिहाजा, सरकार को पुनरीक्षा याचिका दाखिल करनी चाहिए, संशोधन लाकर अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो यह सरकार के बचाव के पाखंड को उजागर करेगा।” कांग्रेस सांसद धरने के समय नारेबाजी कर रहे थे, ”दलितों के सम्मान में, राहुल गांधी मैदान में।” सूत्रों ने बताया कि इससे पहले सांसद कांग्रेस संसदीय दल के कार्यालय में एकत्र हुए और उन्होंने आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया।
सूत्रों ने कहा कि इस दौरान संसद के भीतर की रणनीति के बारे में राहुल के साथ विचार विमर्श किया गया। बजट सत्र के पांच मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में पिछले 15 दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा मचाये गये हंगामे के बीच ही वित्त विधेयक को पारित किया गया। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा सदन में गतिरोध तोड़कर सामान्य कामकाज चलाने के प्रयासों का अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है।
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