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हार की समीक्षा के प्रति गंभीर नहीं कांग्रेसी!

प्रदेश कांग्रेस इन दिनों लोकसभा चुनाव में हुई अपनी हार का समीक्षा में लगी हुई है, लेकिन इसको लेकर प्रदेश के नेता ​कितने गंभीर हैं वह इस बात से पता चलता है कि समीक्षा बैठक में अभी प्रत्याशी नहीं पहुंच रहे हैं।

नई दिल्ली : प्रदेश कांग्रेस इन दिनों लोकसभा चुनाव में हुई अपनी हार का समीक्षा में लगी हुई है, लेकिन इसको लेकर प्रदेश के नेता ​कितने गंभीर हैं वह इस बात से पता चलता है कि समीक्षा बैठक में अभी प्रत्याशी नहीं पहुंच रहे हैं। दो बार हो चुकी इस बैठक में सिर्फ दो प्रत्याशी ही पहुंचे। बाकी पांच इस बैठक में नहीं पहुंचे। इतना जरूर है कि जिलाध्यक्षों ने इस बैठक को संभाल लिया है और मजबूती से अपनी बात रखी है। शनिवार को समीक्षा के लिए दूसरी बैठक होनी थी लेकिन एक भी प्रत्याशी नहीं पहुंचे। जबकि पांच जिलाध्यक्ष जरूर पहुंचे। 
   
गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने दिल्ली में पार्टी की हार की समीक्षा करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी में पूर्व सांसद परवेज हाशमी, पूर्व मंत्री डा एके वालिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री, एआईसीसी प्रवक्ता पवन खेड़ा और पूर्व विधायक जयकिशन आदि शामिल हैं। इस कमेटी को लेकर पहले ही विवाद खड़ा हो चुका है। सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशियों का कमेटी के सामने न आने के पीछे कमेटी में शामिल नेताओं का कद है। 
बहरहाल अब कमेटी ​जिलाध्यक्षों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करके प्रदेश अध्यक्ष को सौंप देगी। शनिवार को पांच जिलाध्यक्ष पहुंचे। जिसमें नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के दो जिलाध्यक्ष विरेन्द्र कसाना व मदन खोरवाल, चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के ​दोनों जिलाध्यक्ष मो. उस्मान व हरी किशन जिंदल तथा ववाना जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार शामिल रहे। सूत्रों का कहना है कि कमेटी में जिन-जिन लोगों को शामिल किया गया है, उनमें एक-दो को छोड़ कर भारी भरकम कद वाले प्रत्याशी ज्यादा तव्वजो नहीं देते हैं। ऐसे में कमेटी की रिपोर्ट कितनी कारगर होगी, इस पर भी सवाल खड़ा होना लाजमी है।
सूत्रों का कहना है कि कमेटी के सामने अभी तक कई ऐसी बातें आई हैं जिसमें कहा जा रहा है कि पार्टी में ‘शंभू नेता’ ज्यादा हो गए हैं, कार्यकर्ता कम। ऐसे नेताओं से बचने की सलाह दी गई है। इसके अलावा कमेटी को सुझाव भी मिले हैं। जिसमें विधानसभा चुनाव की तैयारियों का खाका तैयार करने जैसे सुझाव है। अभी तक के निष्कर्ष में यह बात सामने आई है कि कांग्रेस, बीजेपी के कालचक्र में फंस गई और हिन्दू-मुस्लिम करने लगे। वास्तव में यही कांग्रेस की हार का कारण बना है। कांग्रेस मुसलमानों के वोट को अपना बताते-बताते हिन्दू वोटरों से छिटक गए। यही हार का मुख्य कारण बना।  

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