पांच वर्ष के बाद एक बार फिर से आतंकियों ने महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार में गया जिले के बोधगया को दहलाने की साजिश रची थी लेकिन आज सुरक्षा एजेंसियों ने इसे नाकाम कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने यहां बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम को यह सटीक जानकारी थी कि महाबोधि मंदिर के निकट कालचक्र मैदान में बम लगाया गया है।
टीम पूर्व में गिरफ्तार किये गये आतंकी मोहम्मद उमर को भी साथ लेकर बोधगया आयी थी। श्री मिश्रा ने बताया कि कालचक्र मैदान की गहन जांच के बाद उमर की निशानदेही पर कालचक्र मैदान स्थित शौचालय के समीप छुपा कर लगाया गया एक बम बरामद किया गया। तत्काल बम को सुरक्षा घेरे में लेकर इसे निष्क्रिय करने के लिए बम निरोधक दस्ता को बुलाया गया।
इस बीच पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष जनवरी में महाबोधि मंदिर एवं अन्य स्थानों पर बम लगाने के मामले में मोहम्मद उमर को झारखंड के पाकुड़ से गिरफ्तार किया गया था। आतंकी उमर की गिरफ्तारी के बाद एनआईए लगातार इस मामले की छानबीन में लगी हुयी थी। पूछताछ के क्रम में एनआइए को उमर ने कालचक्र मैदान में एक बम रखे जाने की जानकारी दी।
इस वर्ष के 19 जनवरी को धर्मगुरू दलाईलाम जब बोधगया में थे तभी आतंकियों की ओर से लगाया गया बम विस्फोट हुआ था। हालांकि विस्फोट की इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ था। विस्फोट के बाद से ही एनआईए और स्थानीय पुलिस पूरी सतर्कता बरत रही थी। कालचक्र मैदान और उसके आसपास के सीसीटीवी के फुटेज को भी खंगाला गया था।
उल्लेखनीय है कि 07 जुलाई 2013 को आतंकियों ने महाबोधि मंदिर परिसर में सिलसिलेवार बम विस्फोट की घटना को अंजाम दिया था, जिसमें दो बौद्ध भिक्षु समेत पांच लोग घायल हुए थे। इस घटना में शामिल पांच अतंकियों की बाद में गिरफ्तारी हुयी थी। गिरफ्तार आतंकियों को इस वर्ष जून में एनआईए पटना की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी। इस मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले आतंकियों में उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, इम्तियाज अंसारी उर्फ आलम, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी और मुजिबुल्लाह अंसारी शामिल हैं।