देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गुरुवार को एक अवमानना याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई है। इसमें दावा किया गया है कि उनकी अध्यक्षता वाले दिल्ली जल बोर्ड ने एक याचिका में लगाये गये आरोपों पर गौर करने के न्यायिक आदेशों की जानबूझ कर अवज्ञा की।
ये आरोप दिल्ली में पानी के मोटरों के अत्यधिक उपयोग के बारे में लगाये गये थे। यह मामला न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा के समक्ष बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन उन्होंने इसे 12 जून के लिये स्थगित कर दिया क्योंकि याचिका के बारे में अग्रिम नोटिस अदालत की रजिस्ट्री द्वारा दिल्ली जल बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील को नहीं भेजा गया था।
अधिवक्ता एस बी त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में दलील दी गई है कि जल बोर्ड ने पानी के मोटरों और बूस्टरों के बारे में 27 जून 2016 को हाई कोर्ट के समक्ष इन आरोपों पर गौर करने का वचन दिया था। ये आरोप पानी के मोटरों और बूस्टरों के इस्तेमाल के बारे में थे।
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में दावा किया कि जल बोर्ड ने उनके द्वारा कई पत्र भेजे जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं की। हाई कोर्ट के जून 2016 के निर्देश का कथित तौर पर अनुपालन नहीं करने को लेकर केजरीवाल और जल बोर्ड के विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के अलावा याचिका में पूरी दिल्ली से पानी के निजी बूस्टर हटवाने का भी अनुरोध किया गया है।