नई दिल्ली : दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत लगभग 22 हजार से अधिक गेस्ट शिक्षकों (गेस्ट टीचर्स) का 28 फरवरी गुरुवार को अनुबंध खत्म हो गया है। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से अतिथि शिक्षकों के अनुबंध को बढ़ाए जाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। जबकि सरकारी स्कूलों में सामान्य वार्षिक परीक्षा और बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं।
असमंजस की स्थिति पैदा होने से शुक्रवार को कुछ गेस्ट शिक्षक स्कूल गए तो कुछ ड्यूटी पर नहीं गए। हैरत की बात है कि जिला उप शिक्षा निदेशकों (डीडीई) द्वारा स्कूल प्रमुखों को सूचना देते हुए यह कहा गया है कि शिक्षा निदेशालय की ओर से गेस्ट शिक्षकों के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया गया है और 4 मार्च को इस मामले में सुनवाई होगी।
इसके साथ ही स्कूल प्रमुखों को छात्रों के हित में अपने स्कूल में अतिथि शिक्षकों की सेवा को जारी रखने का निर्देश दिया गया है। इस दौरान गेस्ट शिक्षकों की अलग शीट पर हाजिरी लगाई जाएगी और इस रिकॉर्ड को अलग से संभाल कर रखा जाएगा। स्कूल प्रमुख को अतिथि शिक्षकों द्वारा बायोमेट्रिक मशीन पर हाजिरी न लगाए जाने को सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहीं स्कूल प्रमुखों ने भी इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए यह कहा है कि उन्हें इस बारे में विभाग की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है। स्कूल प्रमुखों ने यह भी स्पष्ट किया है कि गेस्ट शिक्षकों का मार्च माह का वेतन सरकार के निर्णय पर निर्भर होगा, जबकि उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
सड़क पर उतरे गेस्ट शिक्षक… 28 फरवरी को कॉन्टैक्ट खत्म होने के बाद कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर शिक्षा निदेशालय द्वारा कोई आदेश जारी न करने के विरोध में शुक्रवार को सैकड़ों से अधिक अतिथि शिक्षकों ने उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मथुरा रोड स्थित सरकारी आवास पर धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में अतिथि शिक्षकों ने उनके लिए 58/60 साल की पॉलिसी को लागू करने की मांग की। ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी शोएब राणा ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तब यह धरना जारी रहेगा।