दिल्ली में कोरोना वायरस की रफ्तार थमी हुई है और यह सिलसिला काफी समय से बना हुआ है, जो दिल्ली के लोगों के लिए अच्छा है। दिल्ली में शनिवार को कोविड-19 के 27 नए मामले आए और संक्रमण से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। शहर में संक्रमण दर 0.04 फीसदी रही। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
राष्ट्रीय राजधानी में सात सितंबर, 16 सितंबर और 17 सितंबर को एक-एक मरीजों की मौत हुई, यानी अब तक इस महीने कुल तीन मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली में अब तक संक्रमण से कुल 25,085 मरीजों की मौत हो चुकी है। ताजा स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार शनिवार को 27 नए मामले सामने आए और संक्रमण दर 0.04 फीसदी है। राष्ट्रीय राजधानी में अब तक संक्रमण के कुल 14,38,685 मामले सामने आए हैं। वहीं, 14.13 लाख से ज्यादा मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।
उधर, एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोविड-19 से पीड़ित और 40 साल से ज्यादा उम्र के जिन वयस्कों को टाइप-1 मधुमेह है उनके इसी रोग से पीडि़त बच्चों की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की आशंका सात गुना ज्यादा है। एक अध्ययन के नतीजे में यह जानकारी सामने आई। ‘एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया, ”मधुमेह के रोगियों को कोविड-19 से संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा अधिक है, विशेषकर यदि उनकी आयु 40 वर्ष से ज्यादा है।”
अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 से पीड़ित बच्चों में श्वास संबंधी गंभीर लक्षण होना दुर्लभ है और उनमें प्रायः लक्षण नहीं दिखाई देते। इसके विपरीत वयस्कों में श्वास संबंधी कई प्रकार की समस्याएं होती हैं जिनमें अधिक उम्र के मधुमेह के रोगियों की मौत होने की आशंका ज्यादा होती है।
अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 से पीड़ित बच्चों में श्वास संबंधी गंभीर लक्षण होना दुर्लभ है और उनमें प्रायः लक्षण नहीं दिखाई देते। इसके विपरीत वयस्कों में श्वास संबंधी कई प्रकार की समस्याएं होती हैं जिनमें अधिक उम्र के मधुमेह के रोगियों की मौत होने की आशंका ज्यादा होती है।
सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की डॉ कार्ला डेमेटेरको-बर्गरेन ने कहा, ”हमारे अध्ययन में सामने आया है कि मधुमेह टाइप-1 के रोगी 40 साल की आयु से अधिक के लोगों को बच्चों और युवाओं की अपेक्षा कोविड-19 से अधिक खतरा है। बच्चों और युवाओं में हल्के लक्षण होते हैं और जल्दी ठीक हो जाते हैं।”