नई दिल्ली : अक्सर कहा जाता है कि कमजोर बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए पत्राचार विद्यालय का सहारा लेते हैं, लेकिन बीते कुछ समय से छात्रों को पत्राचार विद्यालय में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल इस बार शिक्षा निदेशालय के पत्राचार विद्यालय ने एक ही दिन में दो विषय की प्रेक्टिकल परीक्षा रखकर 12वीं के छात्रों की समस्या बढ़ा दी है। हैरत की बात है कि पत्राचार विद्यालय ने बच्चों के लिए इस समस्या का कोई उचित हल तलाशने के बजाए महज इस बारे में बच्चों को जानकारी देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।
बच्चों और अभिभावकों का कहना है कि पत्राचार विद्यालय के अधिकारी मौखिक रूप से कह रहे हैं कि वह एक दिन पहले जाकर स्कूल को सूचित कर दें कि कल उनका दूसरी जगह भी पेपर है और वह इस परीक्षा को नहीं दे सकते। जबकि ऐसा कोई आधिकारिक आदेश नहीं है। ऐसे में बच्चों का कहना है कि करें तो क्या करें? इस पर शिक्षा निदेशालय की पत्राचार ब्रांच की उप शिक्षा निदेशक(डीडीई) नीलम सेहरावत का कहना है कि कुछ छात्र ऐसे हैं जिनकी डेट क्लैश हुई है। उन्हें इस बारे में सूचना दे दी गई है।
उन्हें यह भी कहा गया है कि वे एक दिन पहले परीक्षा केंद्र पर चले जाएं और बता दें कि अगले दिन उनका पेपर है फिर उन्हें दूसरी डेट मिल जाएगी। स्कूलों को भी बताया गया है किसी भी बच्चे का पेपर मिस नहीं होगा। अभिभावक दिनेश जैन ने बताया कि उनके बेटे की 6 फरवरी को सुबह 8.30 बजे रानी बाग, राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय (जीबीएसएस) में फिजिकल एजुकेशन और बीएल ब्लॉक, शालीमार बाग सर्वोदय कन्या विद्यालय(एसकेवी) में भूगोल की परीक्षा रख दी गई है।
ऐसे में भला उनका बेटा एक साथ कैसे दो परीक्षाओं में बैठ सकता है। वहीं दोनों परीक्षा केंद्र कम से कम 10 से 15 किमी की दूरी पर है। जब वह पत्राचार विद्यालय गए तो उन्हें अगले दिन पेपर देने की बात कह दी गई। पर जब उन्होंने बताया कि अगले दिन भी उनके बेटे का पेपर है तो दोपहर को पेपर देने के लिए कह दिया गया। पर इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं दिया गया। जानकारी के मुताबिक कुछ छात्र ऐसे भी हैं, जिनके एक ही दिन में तीन-तीन पेपर रख दिए गए हैं।
उप मुख्यमंत्री से की शिकायत
अभिभावक दिनेश जैन ने बताया कि उन्होंने उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सिसोदिया को पत्राचार की इस लापरवाही से अवगत कराया है। उन्होंने इस संबंध में जांच की भी मांग की है, ताकि पत्राचार विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य अंधकार में जाने से बच सके, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
– दिनेश बेदी