दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित हाथापाई से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के नौ अन्य विधायकों को बुधवार को आरोप-मुक्त कर दिया। सिसोदिया ने बुधवार को यह जानकारी दी।
फरवरी 2018 में तत्कालीन दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायकों पर मुख्यमंत्री आवास में मारपीट का आरोप लगाया था। अब इस मामले में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और 9 अन्य ‘आप’ विधायक आरोप मुक्त हो गए हैं जबकि दो आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल अभी आरोप मुक्त नहीं हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने दोनी के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।
सिसोदिया ने कहा- रची गई थी साजिश
वहीं मामले में सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि सीएम अरविंद के केजरीवाल के खिलाफ मुख्य सचिव असॉल्ट केस में साजिश रची गई थी। कोर्ट ने कह दिया है कि सारे आरोप बेबुनियाद औऱ झूठे थे। हम पहले दिन से कह रहे थे ये आरोप झूठे हैं, षड्यंत्र रचा गया है। देश के पीएम मोदी और बीजेपी के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने ये षड्यंत्र रचा है। झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है।
उन्होंने ने कहा कि आज अदालत ने आरोप तय करने से भी इनकार कर दिया। आज पूरे देश में अरविंद केजरीवाल सबसे लोकप्रिय सीएम हैं। इसी लोकप्रियता से घबराकर ही मोदी जी और बीजेपी ने ये साजिश रची थी। उन्होंने आगे कहा हमने देखा कि कैसे पुलिस उनके बेडरूम तक घुस आई थी।
सिसोदिया ने कहा कि आज सत्यमेव जयते का दिन है। न्यायपालिका के प्रति आभार। आज न्यायपालिका में विश्वास और बढ़ गया है। मोदी जी और बीजेपी को सीएम केजरीवाल से माफी मांगनी चाहिए। सिसोदिया ने बीजेपी पर निशान साधते हुए कहा कि विपक्ष की चुनी हुई सरकारों को सरकार चलाने दीजिए। आप उनकी सरकारों को गिराने में लगे रहते हैं।
यह था पूरा मामला
पुलिस ने मामले में चार्जशीट में सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के अलावा 11 विधायकों के नाम शामिल किए थे। मामले में कई दिनों तक अफसर हड़ताल पर भी बैठे हुए थे। तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश 19 फरवरी की देर रात एक बैठक में शामिल होने मुख्यमंत्री के आवास पर गए थे।
आरोप था कि केजरीवाल के सामने आप विधायकों ने सचिव के साथ मारपीट की। केजरीवाल के घर हुए हंगामे पर पूर्व विधायक संजीव झा ने मुख्य सचिव के आरोपों को गलत बताया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि महज 3 मिनट में उनके साथ मारपीट कैसे हो सकती है। उन्होंने बताया कि उस दिन राशन के मुद्दे पर चर्चा हुए थी। लेकिन मुख्य सचिव ने कहा कि वो उनके प्रति जवाबदेह नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट से पहले मिली थी राहत
मामले में केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन ने गवाह के तौर पर बयान दर्ज करवाया था। उस बयान की प्रति सीएम और डिप्टी सीएम समेत विधायकों को उपलब्ध कराए जाने के आदेश दिल्ली हाई कोर्ट ने दिए थे। इस पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। मामले में विधायक नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया भी आरोपी थे। मामले में ये सभी बरी कर दिए गए हैं।