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पूर्व MCD पार्षद को गलत तरीके से आरोपी बनाने पर कोर्ट ने ACP को पेश होने का आदेश

कहते है समय से पहले किसी भी चीज को निश्चित नहीं माना जा सकता या उसे मान कर कोई भी किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं ले सकते लेकिन ऐसा ही एक मामला दिल्ली एक अदालत में आया

कहते है समय से पहले किसी भी चीज को निश्चित नहीं माना जा सकता या उसे मान कर कोई भी किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं ले सकते लेकिन ऐसा ही एक मामला दिल्ली एक अदालत में आया जहा अटके हुए निर्माण के लिए नोटिस जारी जबकि जिस समय नोटिस जारी हुआ उस समय निर्माण वहां चल ही नहीं रहा था।    
अदालत ने एसीपी को किया तलब 
दिल्ली की एक अदालत ने एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को अवैध निर्माण के एक मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने और रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने एसीपी से पूछा है कि दिल्ली नगर निगम के एक पूर्व पार्षद और उनकी बहन को साल 2019 में क्यों अफरातफरी मची, जबकि उन्होंने 2017 में संपत्ति में भारी बढ़ोतरी की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि नोटिस जारी करते समय कोई निर्माण नहीं हुआ था। चल रहा था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (माम) अंशुल मेहता ने एसीपी तिलक नगर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और वर्ष 2019 में मामले पर रिपोर्ट दर्ज करने के लिए नोटिस जारी किया। कोर्ट ने एमसीडी के उपायुक्त (पश्चिम) से भी रिपोर्ट दी है। मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई को तय की गई है।अदालत ने जांच अधिकारियों (आयन) की याचिका पर गौर किया कि नोटिस जारी किए जाने के समय कोई निर्माण नहीं हो रहा था। 
वर्ष 2019 में संपत्ति के मालिक का पता लगाने के लिए उसकी ओर से कोई प्रयास नहीं किया 
अदालत ने कहा, “अदालत यह समझने में परेशान है कि किसी भी निर्माण की कमी में डीएमसी अधिनियम की धारा 332 के तहत नोटिस दिया जा सकता है। विनष्ट है।” वर्ष 2017 में और प्रश्नगत संपत्ति पर वर्तमान मामले में नोटिस वर्ष 2019 में दिया गया था।अशोक अंशुल मेहता ने 26 मई को आदेश दिया, “उपरोक्त के मद्देनजर, एसीपी तिलक नगर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और वर्तमान मामले में गुरमुख सिंह और गुरविंदर कौर को कैसे पंच बनाया गया है, इसकी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए नोटिस जारी किए जाएं । कोर्ट ने यह भी कहा, “यहां यह उल्लेख करना उचित है कि वर्ष 2019 में संपत्ति के मालिक का पता लगाने के लिए उसकी ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया है।कोर्ट ने एमसीडी को मामले में रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने आदेश दिया, “अपरोक्त में एक रिपोर्ट डीसी,एमसीडी पश्चिम से भी राय व्यक्त की जाती है।
2019 में संपत्ति पर अटके हुए निर्माण के लिए नोटिस जारी
कोर्ट ने इस आदेश के प्रति के साथ-साथ 11 अक्टूबर 2022 के आदेश के प्रति एसीपी तिलक नगर को सीआई करमबीर के माध्यम से और डीसी, एमसीडी, वेस्ट सिटी को जेई सुमन सौरव के माध्यम से सूचना और प्रतिबद्धता के लिए देने का भी निर्देश दिया है। पूर्व पार्षद गुरमुख सिंह ने अधिवक्ता अनंत दीप ठाकुर के माध्यम से कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी। इसमें कहा गया था कि वह वर्ष 2017 में संपत्ति में था। हालांकि, 2019 में संपत्ति पर अटके हुए निर्माण के लिए नोटिस जारी किया गया था। उसके खिलाफ एमसीडी अधिकारियों ने तिलक नगर थाने में प्राथमिक भी दर्ज किया था। वकील ने तर्क दिया कि नोटिस जारी करने के समय कोई निर्माण नहीं हो रहा था।

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