दिल्ली के एक कोर्ट ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को क्लीनचिट देने वाली कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) को खारिज करते हुए सोमवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त को नयी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। एक याचिका में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास हिंसा को लेकर ट्विटर पर कथित रूप से फर्जी खबर प्रसारित करने के लिए सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया। इसी याचिका के जवाब में एटीआर दाखिल की गयी थी।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने पुलिस प्रमुख को 17 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और जांच अधिकारी द्वारा दाखिल एटीआर को खारिज कर दिया। इस एटीआर में कहा गया कि ‘‘इस ट्वीट की विषयवस्तु से मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता।’’
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सोमवार को दाखिल एटीआर में कहा गया, ‘‘मनीष सिसोदिया ने उस वीडियो क्लिप पर अपनी राय रखते हुए ट्वीट किया, जो कई खबरिया चैनलों पर चल रहा था।’’ पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘शिकायत पर गौर करने के बाद पता चला कि ट्वीट पुलिस के खिलाफ महज आरोप थे और आईपीसी की धारा 153, 153-ए, 504,505 के तहत कोई अपराध नहीं बनता।’’
रिपोर्ट में कहा गया , ‘‘सिसोदिया ने उस वीडियो क्लिप पर केवल अपनी राय रखी थी जो विभिन्न खबरिया चैनलों में चल रहा था और ट्वीट की विषयवस्तु से कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता।’’सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने पुलिस द्वारा दाखिल एटीआर पर विरोध जताया।
उन्होंने आईपीसी की धारा 153, 153-ए, 504 और 505 के तहत सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए दावा किया था कि आम आदमी पार्टी के नेता ने ट्विटर के जरिए फर्जी खबर फैलाकर दिल्ली पुलिस के कर्मियों पर पिछले साल 15 दिसंबर को जामिया नगर में हिंसा के दौरान डीटीसी बस को जलाने का आरोप लगाया।