दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भ्रामक ट्वीट पोस्ट करने के लिए दिल्ली की एक अदालत ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी करते हुए 17 मार्च तक का समय दिया। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिया।
एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने दिल्ली पुलिस द्वारा इस मामले में दाखिल एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) को अस्वीकार करने के बाद यह आदेश जारी किया। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में 15 दिसंबर को जामिया हिंसा के दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा पोस्ट किए गए कथित ‘भ्रामक’ ट्वीट को लेकर उन्हें क्लीनचिट दे दी।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपनी राय पोस्ट किया और ट्वीट महज पुलिस के खिलाफ आरोप थे। पुलिस ने प्रस्तुत एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा है, “शिकायत को देखने से यह पता चला है कि ट्वीट सिर्फ पुलिस के खिलाफ आरोप हैं और कोई अपराध नहीं किया गया है।
मनीष सिसोदिया ने सिर्फ वीडियो क्लिप पर अपनी राय ट्वीट की थी जो समाचार चैनलों पर चल रही थी और ट्वीट की सामग्री से कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता।” कोर्ट ने इस महीने के शुरुआत में पुलिस को वकील की शिकायत पर एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल करने का निर्देश दिया था।
वकील ने अपनी शिकायत में ‘भ्रामक’ ट्वीट पोस्ट करने को लेकर सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपनी शिकायत में सिसोदिया के ट्वीट का हवाला दिया था जिसमें लिखा था, “बीजेपी दिल्ली में चुनावों में हार के डर के कारण आग लगा रही है।
आप किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ है। खुद इस वीडियो में देखें कि पुलिस के संरक्षण में आग कैसे लगाई जा रही है।” सिसोदिया का ट्वीट कई बसों में आग लगाए जाने के बाद आया था।