दिल्ली के एक कोर्ट ने सीलमपुर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के मामले में दो आरोपियों को मेडिकल आधार पर मंगलवार को अंतरिम जमानत दे दी। अतिरिक्त न्यायाधीश बृजेश गर्ग ने यूसुफ अली और मोइनुद्दीन को तीन हफ्ते के लिए जमानत दी है। उन्हें 20-20 हजार रुपये का मुचलका और इतनी ही राशि की जमानत देनी होगी।
कोर्ट ने उन दोनों से कहा कि जेल से रिहाई के बाद वे अपना राममनोहर लोहिया अस्पताल में अपनी जांच और उपचार कराएं। कोर्ट ने इसके साथ ही मामले को अंतिम निपटारे के लिए 21 जनवरी को सूचीबद्ध कर दिया। अली के वकीलों के मुताबिक, वह ‘हाइपोथायरायडिज्म’ नाम की बीमारी से पीड़ित है जिस वजह से उसे मंडोली जेल में दौरे पड़ रहे हैं।
मोइनुद्दीन ने इस आधार पर जमानत देने की गुजारिश की थी कि हिंसक प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से हाथ में लगी चोट की तत्काल सर्जरी करानी है। उसके वकील के अनुसार, उसे चोट कथित रूप से लाठीचार्ज की वजह से लगी है, लेकिन पुलिस ने दलील दी है, वह प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से पेट्रोल बम फेंकने के दौरान जख्मी हुआ है।
अनधिकृत कालोनियों में लोगों को मालिकाना हक मिलने पर केजरीवाल को तकलीफ क्यों : हरदीप सिंह
सीलमपुर में हुई हिंसा के मामले में 11 आरोपियों के जमानत आवेदन के अलग मामले पर कोर्ट ने नाजिम की जमानत अर्जी समेत सभी के आवेदनों पर सुनवाई छह जनवरी के लिए टाल दी है। नाजिम दयालपुरी इलाके में हिंसा का आरोपी है। सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को बताया गया कि इन प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के सभी मामलों की तफ्तीश का जिम्मा अपराध शाखा की विशेष जांच टीम को दिया गया है और इसलिए उसे रिपोर्ट दायर करने के लिए अधिक समय चाहिए।
कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में हिंसक प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार 14 लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।