देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा और नेताओं के घृणा भाषणों से संबंधित याचिकाओं पर शुक्रवार को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और नेताओं के कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषणों पर प्राथमिकी दर्ज करने और गिरफ्तारियों की मांग करने वाली जनहित याचिका को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया।
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गैरतलब है सीएए के समर्थक और विरोधी समूहों के 23 फरवरी से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में शुरू हुई झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था। इसमें 44 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हैं। उन्मादी भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों और एक पेट्रोल पंप को आग लगा दी और स्थानीय लोगों तथा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया।
दंगा प्रभावित इलाकों में जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, यमुना विहार, भजनपुरा, चांद बाग और शिव विहार शामिल हैं। इस दौरान ताहिर हुसैन के घर से भी पथराव और उपद्रव की तस्वीरें सामने आईं जिसके बाद उनपर आईबी अधिकारी की हत्या के आरोप भी लगे। घटना के बाद से वे फरार चल रहे थे।