नई दिल्ली : उपनगरी द्वारका स्थित दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के खाली प्लॉटों में आग लगाने का सिलसिला आम हो गया है। यहां डीडीए के करीब पचास ऐसे खाली प्लॉट हैं जहां देखरेख के अभाव में भारी मात्रा में घास-फूस उग आया है जिसमें रोजना आग लगती रहती है। इससे प्रदूषण तो बढ़ ही रहा है साथ ही यह एनजीटी एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्देेशों का भी खुला उल्लंघन है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। प्राधिकरण की लापरवाही के चलते इन प्लॉटों में दक्षिणी निगम का उद्यान विभाग भी अपना खरपतवार यहां डाल देता है। अनदेखी का फायदा उठाकर आसपास के लोग भी इन प्लॉटों में अपना कूड़ा-कचरा डाल देते हैं। इससे यहां रोजाना आग लग जाती है।
ताजा मामला सेक्टर-6 स्थित डीडीए के 2 हजार गज के प्लॉट से जुड़ा हुआ है। इस प्लॉट में भारी मात्रा में घास-फूस उग आया है। दक्षिणी निगम भी अपना खरपतवार यहां डालता है। जिससे यहां मंगलवार को भयानक आग लग गई। इससे पहले रविवार एवं शनिवार को भी यहां आग लगी थी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस प्लॉट में आग लगी ही रहती है। समाजसेवी और क्लीन एंड सेफ द्वारका मिशन के प्रमुख अनिल कुमार पराशर ने बताया कि डीडीए का यह प्लॉट काफी समय से खाली पड़ा है। इसकी देखभाल के अभाव में यहां घास-फूस पैदा हो गया है। डीडीए अपने प्लॉट की देखभाल नहीं कर पा रहा है।
यदि कोई निजी प्लॉट होता तो प्राधिकरण अब तक नोटिस जारी कर देता। उन्होंने कहा कि इस बारे में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शिकायत की गई थी जिसके बाद आयोग ने डीडीए को नोटिस जारी किया है। डीडीए और दक्षिणी निगम से इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी गई है। उन्होंने कहा कि द्वारका में आग लगने के एक दो नहीं बल्कि गतदिनों में 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। पिछले सप्ताह सेक्टर 10 के खाली प्लॉट में भी ऐसी ही आग लगी थी। पराशर ने बताया कि डीडीए के पास लिखित में शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
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