उत्तरपूर्वी दिल्ली में मंगलवार को नए सिरे से हिंसा भड़क गई जिसमें मृतक संख्या बढ़कर 13 हो गई है। पुलिस भीड़ पर काबू पाने की जद्दोजेहद में लगी रही जो गलियों में घूम रही थी। भीड़ में शामिल लोग दुकानों को आग लगा रहे थे, पथराव कर रहे थे और वे स्थानीय लोगों के साथ मारपीट कर रहे थे।
राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरपूर्वी इलाके में तनाव के दूसरे दिन हिंसा चांदबाग और भजनपुरा सहित कई क्षेत्रों में फैल गई। इस दौरान पथराव किया गया, दुकानों को आग लगायी गयी।
दंगाइयों ने गोकलपुरी में दो दमकल वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। भीड़ भड़काऊ नारे लगा रही थी और मौजपुर और अन्य स्थानों पर अपने रास्ते में आने वाले फल की गाड़ियों, रिक्शा और अन्य चीजों को आग लगा दी।
ऐसे में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शहर में हैं, दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई हुई है। पुलिस ने दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। इन दंगाइयों ने अपने हाथों में हथियार, पत्थर, रॉड और तलवारें भी ली हुई थीं। कई ने हेलमेट पहन रखे थे। पुलिस को अर्धसैनिक कर्मी सहयोग कर रहे थे।
सड़कों पर क्षतिग्रस्त वाहन, ईंट और जले हुए टायर पड़े थे जो सोमवार को हुई हिंसा की गवाही दे रहे थे जिसमें 48 पुलिसकर्मियों सहित लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।
जीटीबी अस्पताल के अनुसार मंगलवार को मृतक संख्या 13 हो गई।
हिंसा जारी रहने के बीच पुलिस अधिकारियों ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और भजनपुरा, खजूरी खास और अन्य स्थानों पर फ्लैग मार्च किए गए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक और अन्य के साथ बैठक की।
बैठक में यह तय हुआ कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को शांति बहाली के लिए हाथ मिलाना चाहिए और सभी क्षेत्रों में शांति कमेटियों को फिर से सक्रिय किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऐसा दृश्य दशकों से नहीं देखा गया, उन्मादी समूहों ने सड़कों पर लोगों की पिटायी की और वाहनों में तोड़फोड़ की।
मीडिया पर भी हमला किया गया।
जेके 24/7 न्यूज के पत्रकार अक्षय को गोली लगी और वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। साथ ही एनडीटीवी के दो पत्रकारों को दंगाइयों ने पीटा और घूसे मारे। कई अन्य पत्रकारों से वापस जाने के लिए कहा गया।
स्कूल बंद हैं और भयभीत निवासी घरों के भीतर रहे क्योंकि उन्मादी भीड़ सड़कों पर घूम रही थी। ऐसे लोगों को सोमवार को लगाई गई निषेधाज्ञा के तहत चार से अधिक लोगों को एक स्थान पर एकत्रित होने पर रोक की परवाह नहीं लग रही थी।
मौजपुर के एक निवासी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘इलाके में शायद ही कोई पुलिस की मौजूदगी है। दंगाई इधर उधर घूम रहे हैं और लोगों को धमका रहे हैं, दुकानों में तोड़फोड़ कर रहे हैं। परिवारों को वहां से निकालने की जरूरत है। हम अपने घरों में असुरक्षित हैं।’’
एक अन्य ने कहा कि 35 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, संभवतः 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद से उसने इस तरह की स्थिति देखी है।
उसने कहा, ‘‘क्षेत्र हमेशा से शांतिपूर्ण रहा है।’’
उपद्रव दिनभर चलता रहा।
मिसाल के तौर पर चांदबाग में शाम पांच बजे के आसपास सुरक्षाबलों पर पथराव किया गया। सुरक्षा बलों ने भीड़ को खदेड़ा लेकिन कुछ अन्य ने उन पर ताजा हमला किया जो पेट्रोल बम से लैस थे।
यमुना विहार और जाफराबाद के कुछ निवासियों ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने दंगाइयों के हाथों में तलवारें देखीं।
मारे गए व्यक्तियों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल भी शामिल हैं। लाल की मौत गोली लगने से हुई।
मारे गए लोगों में घोंडा निवासी विनोद कुमार भी शामिल था जिसे मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। उसका शव जग परवेश अस्पताल के मुर्दाघर में है।
जाफराबाद के पास कर्दमपुरी से मोहम्मद फुरकान की भी मौत हो गई है जिसकी 2014 में शादी हुई थी और उसके दो बच्चे हैं। उसके भाई मोहम्मद इमरान ने कहा के दोनों भाई हस्तशिल्प व्यवसाय में थे।
उन्होंने अस्पताल के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह अपने बच्चों के लिए कुछ खाने के लिए लेने गया था। किसी ने मुझसे कहा कि उसे गोली मार दी गई है। मुझे विश्वास नहीं हुआ क्योंकि मैं उससे मुश्किल से एक घंटे पहले मिला था। मैं उसे फोन करता रहा … मैं फिर जीटीबी अस्पताल पहुंचा। मुझे बताया गया कि वह मर चुका है।’’
इमरान ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा के ट्वीट को दोषी ठहराया जिन्होंने दिल्ली पुलिस को प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाने के लिए अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि लोग ट्रंप के भारत में रहने तक ही शांत रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘उससे पहले तक सब कुछ शांतिपूर्ण था।’’
सोमवार को पुलिस के सामने पिस्तौल लहराते दिखे व्यक्ति की पहचान शाहरुख के रूप हुई है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने कहा कि 11 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
केजरीवाल ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और सभी दलों के विधायकों के साथ बैठक की। उन्होंने लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि सभी मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।
उन्होंने जीटीबी अस्पताल में घायलों से मिलने के बाद कहा, ‘‘इस पागलपन को रोकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं घायलों से मिला हूं, साथ ही उन लोगों से भी मिला हूं जो गोलियां लगने से घायल हुए हैं। सबसे बड़ी चिंता हिंसा रोकना है। मैं सभी से हिंसा रोकने की अपील करता हूं।’’
इस बीच दिल्ली मेट्रो की पिंक लाइन पर पांच मेट्रो स्टेशन मंगलवार को लगातार दूसरे दिन बंद रहे।
पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) अमित शर्मा का सोमवार रात एक आपरेशन किया गया जिन्हें झड़पों के दौरान सिर में चोट लगी थी।