नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि यह संविधान के मूल भावना और जनतंत्र के खिलाफ है। उनका कहना है कि यह कैसा फैसला है कि 70 में से 67 सीटें लाने वाली पार्टी और सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और 70 में से तीन सीट लाने वाली पार्टी के पास सारे अधिकार हैं। वह फैसले पर कानूनी उपाय तलाश रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर पूर्ण राज्य के दर्जा का मुद्दा भी छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट की इज्जत करते हैं, लेकिन फैसला दिल्ली और दिल्ली को लोगों खिलाफ है। फैसला कहता है कि ट्रांसफर और एंटी करप्शन का अधिकार विपक्ष के पास होगा। इसके बिना कोई सरकार कैसे चल सकती है? ऐसे तो अगर मुख्यमंत्री के पास कोई भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर आए तो क्या मुख्यमंत्री को भाजपा के पास जाना चाहिए। विपक्ष ही तो सारी गड़बडि़यां करा रहा है।
ऐसे में तो विपक्ष वैसे अधिकारियों को भेजेगा जो सरकार चलने न दे। ऐसे में जब हर फाइल को क्लीयर कराने के लिए एलजी के घर धरना देना पड़ेगा तो सरकार कैसे चलेगी। उन्होंने इसका एक ही समाधान है पूर्ण राज्य का दर्जा। इसके लिए सातों सीटें आम आदमी पार्टी की जितवाएं। ये सांसद संसद में लड़-लड़ कर पूर्ण राज्य का दर्जा ले आएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट न करें।
शीला जी शॉर्ट टर्म राजनीति के लिए न दें बयान
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा कोर्ट के फैसले का सम्मान करने पर उन्होंने कहा कि वह शीला जी का सम्मान करते हैं। उनका कहना है कि मुद्दा बहुत बड़ा होता है और शॉर्ट टर्म पॉलिटिक्स अच्छा नहीं होता। शीला जी के मुकाबले उनके पास दस प्रतिशत अधिकार भी नहीं है, क्योंकि 15 में से 10 साल तो केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने निवेदन किया है कि भविष्य में दिल्ली में उनकी सरकार भी हो सकती है। इसलिए वे दिल्ली और जनतंत्र के लिए बात करें।
देश को लेकर चिंता है, परिस्थितियों को देख रहे हैं, भाइचारा खराब हो रहा है नोटबंदी, मॉब लिंचिंग, यूनिवर्सिटी खराब की जा रही है। गठबंधन पर उन्होनंे लगभग मना कर दिया। क्या कोई भी सरकार ट्रांसफर और एसीबी के बिना कैसे चल सकती है। चपरासी को भी ट्रांसफर करने की पावर नहीं है। कैसा जजमेंट है, बहुत गलत जजमेंट है।
राहुल ने गठबंधन के लिए लगभग ना किया… उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर राहुल से कोई सहमति नहीं बनी है। इस मामले पर राहुल ने लगभग न कह दिया है। उनका कहना है कि पूरा देश चाहता है कि इस बार भाजपा को हराया जाए, इसलिए देशभर में भाजपा के सामने विपक्ष का सिर्फ एक ही उम्मीदवार हो ताकि वोट बंटने न पाए। अगर दूसरा उम्मीदवार हुआ, तो भाजपा को फायदा मिल जाएगा। यह बात देश भर में सभी पार्टियों को समझनी होगी।