दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य के अधिकारियों से कहा कि वे आईटी कार्यकारी जिगिशा घोष की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे रवि कपूर की पैरोल अर्जी पर 10 दिनों के भीतर फैसला लें।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका
कपूर ने मार्च में अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने और अपने माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सामाजिक संबंध बनाए रखने के लिए तीन महीने की पैरोल की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
कपूर ने 29 जनवरी को पैरोल के लिए किया था आवेदन
कपूर ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने 29 जनवरी को पैरोल के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
राज्य के वकील द्वारा दिल्ली जेल नियमों के प्रासंगिक प्रावधान का हवाला देने के बाद न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कपूर की याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पैरोल के लिए दी गई अर्जी पर चार सप्ताह के भीतर फैसला किया जाना चाहिए।
पैरोल अर्जी का निपटारा 10 दिनों के भीतर
वकील ने आश्वासन दिया कि पैरोल अर्जी का निपटारा 10 दिनों के भीतर कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर पैरोल अर्जी पर फैसला लेने का निर्देश दिया और रिट याचिका का निपटारा कर दिया।
सजा को चुनौती देने वाली अपील लंबित
कपूर को पत्रकार सौम्या विश्वनाथन और जिगिशा घोष की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे हाल ही में सौम्या की हत्या के मामले में उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी, क्योंकि उसकी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील लंबित है।
इससे पहले जनवरी में पैरोल आवेदन को किया था खारिज
इससे पहले जनवरी में उच्च न्यायालय ने कपूर द्वारा किए गए अपराधों की गंभीरता को देखते हुए उसके पैरोल आवेदन को खारिज कर दिया था। इसमें जेल में उसके आचरण को ध्यान में रखा गया, यह देखते हुए कि उसे 41 बड़ी सजाएं मिलीं, जिन्हें असंतोषजनक माना गया।
जिगिशा हत्या मामले में 2016 में ट्रायल कोर्ट द्वारा कपूर को सुनाई थी मौत की सजा
शुरुआत में जिगिशा घोष की हत्या के लिए 2016 में ट्रायल कोर्ट द्वारा कपूर को मौत की सजा सुनाई गई थी, बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कपूर की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। उसे 2008 के सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में भी दोषी ठहराया गया था और 2023 में ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
28 वर्षीय जिगिशा घोष का मार्च 2009 में अपहरण कर हत्या कर दी गई थी, जबकि पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की सितंबर 2008 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
जिगिशा की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड का मामला सुलझ गया था। पुलिस ने दोनों हत्याओं के पीछे डकैती को कारण बताया है।