रायपुर : सड़कों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगते पाए जाने वाले बुजुर्गों से पुलिस उनकी समस्याओं की जानकारी लेगी और उन्हें परिवार के साथ मिलाने में सहयोग करेगी। हाल में पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को यह फरमान तो जारी किया, लेकिन शहर में इस पर अमल नहीं हो रहा है। बुधवार को कई बुजुर्ग चौराहों पर भीख मांगते दिखे, लेकिन घंटों बाद भी कोई वर्दीवाला उनके आसपास नहीं फटका।
दरअसल जिला पुलिस के पास इतना वक्त ही नहीं है कि वह बुजुर्गों की समस्या सुने। बुजुर्गों से संबंधित कई गंभीर शिकायतों पर पहले भी सुनवाई नहीं हो सकी है। ऐसे में नए फरमान का नतीजा सिफर है। हर महीने औसतन आठ शिकायतें : मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय में पिछले वर्ष तीन अक्टूबर से प्रदेश के बुजुर्गों की मदद के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-180-1253 और हेल्प लाइन नम्बर 0771-2511253 शुरू किया गया। टोल फ्री नम्बर पर बुजुर्गों से हर महीने औसतन आठ शिकायतें आ रही हैं। पुलिस का दावा है कि फोन काल्स आने पर सहानुभूतिपूर्वक तत्परता से उचित कार्रवाई की जा रही है। हर जिले में बुजुर्गों की मदद के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
डीजीपी ने कहा, बुजुर्ग सेवा ही ईश्वर सेवा : सभी अधीक्षकों को परिपत्र जारी करते हुए पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय ने पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि बुजुर्गों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। वे अपने-अपने कार्य क्षेत्र में बुजुर्गों से मिलकर उनका कुशलक्षेम पूछें और जरूरत पड़ने पर उन्हें हर संभव मदद करें। छत्तीसगढ़ पुलिस ने समाज सेवी संस्था हेल्पेज इंडिया के सहयोग से ऐसी पहल की शुरुआत की है। धारा 125 के तहत सख्त नियम : भारतीय दण्ड प्रक्रिया की संहिता धारा-125 के अनुसार बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके बच्चों पर होती है।
अगर बुजुर्गों की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ थाने में कोई शिकायत मिले तो न्यायालय में परिवाद दायर करने के लिए पुलिस अधिकारी बुजुर्गों की मदद करें। सर्कुलर में ऐसे हैं निर्देश : समाज में एकाकी जीवन जी रहे गरीब और उपेक्षित बुजुर्गों को राहत और सुरक्षा देने के लिए जरूरी पहल हो। प्रत्येक पुलिस थाने में परिवार परामर्श और सीनियर सिटीजन हेल्प डेस्क की भी स्थापना की जाए। प्रभारी पुलिस अधिकारी हर 15 दिन में बुजुर्गों से मिलकर और समय-समय पर सार्वजनिक स्थानों, बाग-बगीचों आदि में बैठकर उनसे बात करें। प्रत्येक थाने में पेंशन धारक बुजुर्गों के नाम रजिस्टर में दर्ज कर रखे जाएं, ताकि शिकायत आने पर निराकरण में आसानी हो।