देहरादून : हाल ही में उत्तराखंड में संपन्न नगर निकाय चुनावों में केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ माहौल को अपने पक्ष में भुना पाने की विफलता के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में बेचैनी बढ़ गयी है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इन चुनावों के जरिये अपने लिये संजीवनी ढूंढ रही, दो खेमों में बंटी कांग्रेस में हार का दोष एक दूसरे पर मढ़ने के लिये आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने परोक्ष रूप से हार का ठीकरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर फोड़ दिया। एक बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि निकाय चुनावों के लिये प्रचार से उन्हें ज्यादातर दूर ही रखा गया, लेकिन जहां-जहां उन्होंने प्रचार किया, वहां ज्यादातर जगहों से कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे।
दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिंह ने सफाई दी कि रावत की व्यस्तता के कारण राज्य में उनके ज्यादा कार्यक्रम तय नहीं किये जा सके। सिंह ने यह भी कहा कि अगर पार्टी के कुछ नेता इस हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ना चाहते हैं तो वह यह जिम्मेदारी लेने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निकाय चुनाव नतीजों के मंथन में अगर मेरे हिस्से जहर आया तो मैं यह जहर पीने को तैयार हूं।’’
प्रदेश में 18 नवंबर को हुए नगर निकाय चुनावों में सत्ताधारी भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए राजधानी देहरादून के मेयर पद सहित 34 निकायों के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। कांग्रेस को 25 निकाय अध्यक्ष पदों पर विजय मिली जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों ने 23 निकाय अध्यक्ष पदों पर कब्जा कर दोनों प्रमुख दलों को स्तब्ध कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस संबंध में कहा कि टिकट वितरण के लिये पार्टी में व्यापक विचार विमर्श किया गया था। धस्माना ने कहा कि पार्टी में व्यापक रूप से विचार विमर्श के बाद निर्णय लिये गये और हमारा मानना है कि हमारा प्रदर्शन भी बेहतर ही रहा।