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दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने कहा – ‘अतिथि शिक्षकों की जांच में कोई अनियमितता नहीं पायी गयी’

इस बात का कोई सबूत नहीं था कि पिछले साल दिल्ली के स्कूलों में काम करने वाले अतिथि शिक्षकों में से किसी ने कुछ गलत किया हो

इस बात का कोई सबूत नहीं था कि पिछले साल दिल्ली के स्कूलों में काम करने वाले अतिथि शिक्षकों में से किसी ने कुछ गलत किया हो। दिल्ली के शिक्षा मंत्री राज कुमार आनंद ने सोमवार को कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर हुई जांच में दिल्ली सरकार के विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों में कोई अनियमितता सामने नहीं आयी। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के अनुसार, कोई ‘‘कागजी (गोस्ट) शिक्षक’’नहीं है तथा केवल 109 अतिथि शिक्षकों के दस्तावेज ‘‘अधूरे’’ थे। ‘कागजी शिक्षक (गोस्ट टीचर)’ ऐसे शिक्षक होते हैं, जो सिर्फ कागजों पर मौजूद होते हैं और वेतन लेते हैं। उपराज्यपाल कार्यालय से इस बयान पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। सितंबर, 2022 में उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं तथा ‘‘कागजी शिक्षकों’’ के वेतन के नाम पर धन के गबन की आंतरिक जांच के आदेश दिये थे।
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उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गई है
आनंद ने कहा, ‘‘ उपराज्यपाल की जांच रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के विद्यालयों में ‘कागजी शिक्षक जैसा कुछ नहीं पाया गया। हर शिक्षक समय से विद्यालय आ रहा है और प्रतिदिन बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज करा रहा है। केवल 109 अतिथि शिक्षकों के दस्तावेज अधूरे थे और उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गई है।’’ उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में ‘कागजी शिक्षकों के वेतन भुगतान में धन के गबन’ का जिक्र नहीं है।  उन्होंने कहा,‘‘ शिक्षकों को उपराज्यपाल द्वारा कागजी शिक्षक करार देना इस नेक पेशे में कार्यरत लोगों का अपमान है। यह हमारे ईमानदार प्रशासन का भी अपमान है। दिल्ली सरकार के विद्यालयों में करीब 16,609 अतिथि शिक्षक हैं। उनके सारे दस्तावेजों की जांच की गयी और वे ठीक पाये गये।’’
इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनायी थी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘किसी को ऐसी फर्जी जांच का आदेश देकर तथा हर काम में टांग अड़ाकर क्या मिलता है।’’ दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘‘ भ्रष्टाचार और धन की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनायी थी। दरअसल वे अतिथि शिक्षकों को सेवा में रखने की परिपाटी को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कोई नेता नहीं हैं, उनके कार्यालय को इस मुद्दे पर माफी मांगनी चाहिए।

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