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दिल्ली सरकार ने एमसीडी से मांगा कमाई और खर्च का हिसाब, नहीं मिला कोई जवाब

दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी से एक महीने के आय-व्यय का ब्यौरा मांगा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक अभी तक एमसीडी ने पैसों का हिसाब नहीं दिया है।

दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी से एक महीने के आय-व्यय का ब्यौरा मांगा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक अभी तक एमसीडी ने पैसों का हिसाब नहीं दिया है। शहरी विकास मंत्रालय ने तीनों एमसीडी से पत्र लिख कर पूछा है कि विभिन्न स्रोतों हुई आमदनी का पैसा कहां-कहां खर्च किया गया है। 
दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, पिछले दिनों दिल्ली के तीनों नगर निगमों से आय-व्यय का ब्यौरा मांगा गया था, लेकिन अभी तक उनसे कोई जवाब नहीं आया है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा के नेता कुछ छिपा रहे हैं। यह दिल्ली के लोगों के टैक्स का पैसा है और उन्हें एक-एक पैसे के बारे में जानने का अधिकार है। दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय का कहना है कि नियमानुसार उसके पास तीनों एमसीडी से आय-व्यय का ब्यौरा मांगने का अधिकार है। इसी अधिकार के तहत उसने बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी शासित तीनों नगर निगमों को पत्र लिखा था। नगर निगमों से पूछा गया था कि एक महीने में उन्हें विभिन्न स्रोतों से कितनी आय हुई है। तीनों एमसीडी को टैक्स के जरिए कितना पैसा मिला है। अन्य राजस्व स्रोतों से कितनी आमदनी हुई है। 
साथ ही उनसे यह भी पूछा गया है कि जो उन्हें आमदनी हुई है, उस पैसे का उपयोग किन-किन मदों में और कहां-कहां पर किया गया है। कुल आय में से एमसीडी ने अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए कितना पैसा खर्च किया है और कांट्रैक्टर को कितने पैसे का भुगतान किया। इसके अलावा, शेष धनराशि का उपयोग कहां किया गया है। शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक इसकी जानकारी मांगी गई थी, तीनों नगर निगमों ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है और वे आय-व्यय का ब्यौरा देने से बच रहे हैं। तीनों नगर निगम सिर्फ इतना बता रहे हैं कि वर्तमान में उनकी वित्तीय हालात क्या हैं। नगर निगम यह नहीं बता रहे हैं कि उन्हें विभिन्नि स्रोतों से कितना पैसा मिला और वो पैसा कहां-कहां खर्च हुआ। इस संबंध में शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि, हमने तीनों एमसीडी के कमिश्नर को पत्र लिख कर एक महीने के आय-व्यय का ब्यौरा मांगा था, लेकिन अभी तक किसी भी एमसीडी से पत्र का जवाब नहीं मिला है।

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