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लालकिला के ऐतिहासिक मुशायरें पर दिल्ली सरकार ने लगाई रोक, AIMIM ने किया विरोध

गणतंत्र दिवस के मौके पर हर वर्ष लालकिला के ऐतिहासिक मुशायरे पर रोक लगाने के फैसले का एआईएमआईएम पार्टी और उसके प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया है

गणतंत्र दिवस के मौके पर हर वर्ष लालकिला के ऐतिहासिक मुशायरे पर रोक लगाने के फैसले का एआईएमआईएम पार्टी और उसके प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया है। उन्होंने ऐतिहासिक मुशायरे पर रोक लगाने को सरकार की उर्दू से दुश्मनी करार दिया है। एआईएमआईएम के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कलीमुल हफीज ने शनिवार को कहा कि, मास्क पहनकर गणतंत्र दिवस की परेड हो सकती है, बाजार लग सकता है तो मुशायरा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि उर्दू अकादमी दिल्ली को दो साल से बजट नहीं मिला है। दरअसल इस साल ऐतिहासिक लाल किला मुशायरा गणतंत्र दिवस पर नहीं होगा। दिल्ली सरकार ने कोरोना के मद्देनजर यह फैसला लिया है। 
सारे काम वर्चुअल हो सकते हैं तो ऐतिहासिक मुशायरा क्यों नहीं : कलीमुल
एआईएमआईएम ने शनिवार को कहा कि यदि सरकार के सारे काम वर्चुअल हो सकते हैं तो ऐतिहासिक मुशायरा क्यों नहीं हो सकता, लाल किले का मुशायरा लोकतंत्र के जश्न का हिस्सा है लेकिन दिल्ली सरकार का उर्दू के प्रति दुश्मनी का रवैया है। पार्टी के अनुसार उर्दू अकादमी में 27 रिक्तियां हैं जो आज तक नहीं भरी गई हैं। अकादमी से जुड़े शिक्षकों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। पार्टी ने आरोप लगाया कि उर्दू अकादमी के नाम से 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था लेकिन उसे जारी नहीं किया गया। उर्दू शिक्षकों की भर्ती के नाम पर और दिखावे के लिए कुछ ही पद भरे गए। दिल्ली सरकार उर्दू के नाम पर पैसे खर्च नहीं करना चाहती है।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया है अकादमी के अध्यक्ष 
कलीमुल हफीज ने कहा कि आज से आठ महीने पहले भी हमने सरकार को उर्दू अकादमी के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए थे, लेकिन सरकार ने इसे नजर अंदाज कर दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, सरकार को दिल्ली नगर निगम चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उर्दू अकादमी दिल्ली सरकार की एक संस्था है इसके अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हैं। इसके बावजूद अकादमी के पद कई साल से खाली पड़े हैं यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक दिन उर्दू अकादमी दिल्ली दफन हो जाएगी। उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष उर्दू की वर्णमाला से भी अपरिचित हैं। जब उन्होंने पदभार ग्रहण किया था तो उन्होंने कहा था कि भले ही मैं उर्दू नहीं जानता, लेकिन मैं उर्दू के लिए काम करूंगा लेकिन अब वे अपना वादा भूल गए।
उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए : हफीज
हफीज ने मांग की कि उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और अपनी जगह सक्षम व्यक्ति को पद पर मनोनीत करना चाहिए ताकि उर्दू अकादमी का विकास हो सके। कलीमुल हफीज ने कहा कि, सरकार के सहयोग के बिना कोई भी भाषा जीवित नहीं रह सकती है। दिल्ली मजलिस अध्यक्ष ने उर्दू के नाम पर स्थापित संगठनों से दिल्ली में उर्दू की स्थिति पर एक संयुक्त रणनीति बनाने की अपील की।

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