दिल्ली में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इस बीच अस्पतालों में भर्ती होने और जांच कराने तक के लिए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं, जिसके चलते राजधानी के निवासी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सरकार जहां एक तरफ आसानी से उपचार मिलने और अस्पतालों में बिस्तरों की पर्याप्त संख्या होने का दावा कर रही है वहीं आंखों देखा हाल बता रहे मरीज कुछ और ही हालात बयान कर रहे हैं।
महानगर के निवासियों का कहना है कि संक्रमण होने के खतरे और कोविड-19 की जटिल जांच प्रक्रिया से गुजरने के डर में कोई अंतर नहीं रह गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा था कि शहर में डेढ़ लाख बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी।
इससे एक दिन पहले उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि जुलाई के अंत तक कोरोना वायरस मामलों की संख्या बढ़कर साढ़े पांच लाख हो जाएगी जो कि बृहस्पतिवार तक सामने आए 32,810 मामलों से कई गुना ज्यादा है।
हालांकि, सरकार अस्पतालों में जरूरत से अधिक बिस्तर होने का दावा कर रही है लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया माध्यमों से सामने आती कोविड-19 की कहानियों में राष्ट्रीय राजधानी के उन निवासियों का दर्द और आक्रोश दिखाई दे रहा है जिन्हें अपने बीमार परिजनों के इलाज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता अमरप्रीत कौर ने ट्विटर के जरिये अपने बीमार पिता के लिए सहायता मांगी थी लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत होने के बाद अमरप्रीत ने ट्वीट किया, “वह नहीं रहे। सरकार विफल हुई।” कौर के पिता की जांच में एक जून को कोविड-19 की पुष्टि हुई थी लेकिन उन्हें घर पर पृथक-वास में रहने को कहा गया था।
My dad is having high fever. We need to shift him to hospital. I am standing outside LNJP Delhi & they are not taking him in. He is having corona, high fever and breathing problem. He won’t survive without help. Pls help @raghav_chadha @ArvindKejriwal @SatyendarJain
— Amarpreet (@amar_hrhelpdesk) June 4, 2020
तबीयत बिगड़ने पर कौर के पिता को एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया लेकिन परिजनों के मुताबिक मरीज को भर्ती नहीं किया गया और गंगा राम अस्पताल ले जाने को कहा गया। कौर ने ट्वीट किया, “मेरे पिता को तेज बुखार है। हमें उन्हें अस्पताल ले जाना होगा। मैं एलएनजेपी दिल्ली के बाहर खड़ी हूं और वे उन्हें भीतर नहीं जाने दे रहे हैं। उन्हें कोरोना, तेज बुखार और सांस की बीमारी है। मदद के बिना वे नहीं बचेंगे। कृपया मदद करें।” एक घंटे बाद अस्पताल के बाहर कौर के पिता की मौत हो गई।
एलएनजेपी अस्पताल ने लापरवाही के आरोपों का खंडन किया। कौर की कहानी यहीं समाप्त नहीं हुई। कौर अपने परिवार की भी कोरोना वायरस जांच कराना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने फिर ट्विटर का सहारा लिया।
बहुत से लोगों की शिकायत है कि दिल्ली सरकार के ऐप पर दिखने वाले अस्पताल, वेंटिलेटर और बिस्तरों की जानकारी असलियत के एकदम विपरीत है। लोगों का कहना है कि कई बार हेल्पलाइन पर कॉल करने पर भी जवाब नहीं मिलता।