दिल्ली में एक वाहन की कथित चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की हिरासत में मौत होने पर दिल्ली सरकार की स्थिति रिपोर्ट को दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आधा-अधूरा करार दिया। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि व्यक्ति को गिरफ्तारी और अस्पताल में भर्ती कराने के बीच क्या हुआ।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि रिपोर्ट में ‘स्पष्ट सबूत का अभाव है’ और यह महज ‘आधी-अधूरी’ है तथा इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि हिरासत में हुई मौत के मामलों में क्षतिपूर्ति प्रदान करने की कोई नीति है या नहीं। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट बस इतना बताती है कि कब उसे गिरफ्तार किया गया और कब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, उस बीच में क्या हुआ, उसके बारे में उसमें कुछ नहीं कहा गया है और उसकी मौत की जो जांच की गयी, उस संबंध में भी उसमें कुछ नहीं है।
अदालत ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि क्या हिरासत में मौत होने पर मुआवजा देने की कोई नीति है। न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई के दिन 13 अप्रैल को वह मुआवजे के मुद्दे पर विचार करेंगी। अदालत ने दिल्ली सरकार से आठ मार्च को स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। वह मृतक की पत्नी की अर्जी पर सुनवाई कर रही है।
इस व्यक्ति को पुलिस ने वाहन की कथित चोरी के सिलसिले में 11 नवंबर, 2020 को गिरफ्तार किया था। अदालत ने आठ मार्च के अपने आदेश में जिक्र किया था कि जब इस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तब मजिस्ट्रेट ने दर्ज किया गया था कि उसकी शारीरिक हालत इतनी अच्छी नहीं है कि वह खड़ा भी हो पाए। उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘ लेकिन उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
चौंकाने वाली बात है कि उसकी 12 नवंबर 2020 को मौत हो गयी जब वह न्यायिक हिरासत में था।’’ उसकी पत्नी ने पुलिस पर उसके पति का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है और उसने अधिकारियों से मुआवजा मांगा है। उसकी छह साल और पांच महीने की दो बेटियां हैं।