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…भैय्या मैं मर रहा हूं, तुम पर ही भरोसा है, परिवार का ख्याल रखना

हैलो भैय्या आज मैं मर जाऊंगा…मेरे परिवार का ख्याल रखना भाई। एक दम से मेरी मौत की खबर किसी और को न बताना, नहीं तो पूरा परिवार टूट जाएगा।

नई दिल्ली : हैलो भैय्या आज मैं मर जाऊंगा…मेरे परिवार का ख्याल रखना भाई। एक दम से मेरी मौत की खबर किसी और को न बताना, नहीं तो पूरा परिवार टूट जाएगा। यह दर्द भरी बातें रविवार तड़के फिल्मीस्तान में लगी आग में फंसे मुशर्रफ ने अपने दोस्त के पास फोन करके कही। 
आग की लपटों में फंसने के बाद मुशर्रफ ने पहली और आखिरी कॉल अपने दोस्त मोनू उर्फ शोभित अग्रवाल के पास की। बता दें कि इस हादसे में मुशर्रफ की मौत हो गई है। मुशर्रफ मूलत : यूपी के बिजनौर का रहने वाला था और परिवार में एक मात्र वही कमाने वाला था। पंजाब केसरी के पास उपलब्ध ऑडियो में मुशर्रफ बार-बार अपने दोस्त मोनू से परिवार का ख्याल रखने की बातें करता है।
मृतक मुशर्रफ- हैलो मोनू भैय्या आज खत्म होने वाला हूं। आग लग गई है। आ जाना करोलबाग। टाइम कम है और भागने का कोई रास्ता नहीं है। खत्म हुआ भैय्या मैं तो, घर का ध्यान रखना। अब तो सांस भी नहीं ली जा रही। 
मृतक का दोस्त मोनू- आग कैसे लग गई।
मुशर्रफ- पता नहीं कैसे। कई सारे लोग दहाड़ रहे हैं। अब कुछ नहीं हो सकता है। घर का ध्यान रखना।
मोनू- फायर ब्रिगेड को फोन करो।
मुशर्रफ- कुछ नहीं हो रहा अब।
मुशर्रफ- कुछ नहीं हो सकता है। मेरे घर का ध्यान रखना। किसी को एक दम से मत बताना। पहले बड़ों को बताना (कराहते हुए या अल्लाह)। मेरे परिवार को लेने पहुंच जाना। तुम्हें छोड़कर और किसी पर भरोसा नहीं है। अब सांस भी नहीं ली जा रही है।
मोनू- हैलो, हैलो (दूसरी ओर से उल्टी करने और कराहने की आवाज आई) वो गाड़ी नहीं आई पानी वाली।
मुशर्रफ- बिल्डिंग में चारों तरफ आग लगी दिख रही है भैय्या। ऊपर वाला जैसे करे। आखिरी टाइम है। 
मोनू- तू मत जाना मेरे भाई। निकलने या कूदने का कोई रास्ता नहीं है क्या ?
मुशर्रफ- नहीं कोई रास्ता नहीं है। (किसी रिश्तेदार से बात करने की बात कहता है)
मोनू- भाई बचने की कोशिश कर, किसी तरह निकल वहां से (मृतक के कराहने की आवाज आती है)।
मुशर्रफ- अब तो गए भैय्या। तीसरी चौथे मंजिल तक आग लगी है। किसी से जिक्र मत करना ज्यादा।
मोनू- आग पहुंच गई है या धुआं आ रहा है। बाहर छज्जे की ओर आ जा।
मुशर्रफ- भाई जैसे चलाना है वैसे मेरा घर चलाना। बच्चों और सब घर वालों को संभालकर रखना। एक दम से घर मत बताना। भैय्या मोनू तैयारी कर ले अभी आने की।
शोभित ने बताया- बचपन का दोस्त था मुशर्रफ
रविवार को पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान मोनू उर्फ शोभित अग्रवाल ने बताया कि वह और मुशर्रफ बचपन से ही दोस्त थे। कहा यूपी के बिजनौर जिला स्थित एक गांव में दोनों का घर बगल में ही है। दो दिन पहले ही वह दिल्ली आया था। उसे पता होता तो वह अपने दोस्त को आने ही नहीं देता।
तीन बेटी, एक बेटा छोड़ गया मुशर्रफ
मोनू ने बताया कि मुशर्रफ के परिवार में उसकी पत्नी, तीन बेटी और एक बेटा है। जबकि दो बहनों की हाल ही में शादी की है और उसके पिता का काफी दिन पहले ही इंतकाल हो चुका है। परिवार में एक मुशर्रफ ही नौकरी करने वाला था। उसके जाने के बाद पूरा परिवार बिखर जाएगा।

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