चुनावों के बाद देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में आगामी चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल रोकने और मतपत्र का इस्तेमाल करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर अगस्त में सुनवाई की जायेगी। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान जब इस विषय का उल्लेख किया गया, तब याचिकाकर्ता को कुछ तकनीकी गड़बड़ी का सामना करना पड़ा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ती ज्योति सिंह ने कहा कि वह इस मामले को प्रस्तुत करने के लिए उन्हें एक और मौका दे रहे हैं तथा याचिका की सुनवाई तीन अगसत के लिए सूचीबद्ध कर दी। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सी आर जया सुकीन ने कहा कि कई विकसित देशों ने ईवीएम का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर रखा है और मतदान की मतपत्र प्रणाली को चुना है क्योंकि ये (ईवीएम) मशीनें हैक की जा सकती हैं, जबकि मतपत्र प्रणाली अत्यधिक सुरक्षित है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान का अनुच्छेद 324 कहता है कि चुनाव अयोग द्वारा कराए जाने वाले चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराने की जरूरत है तथा इसमें मतदाताओं की इच्छा प्रदर्शित होनी चाहिए। इसलिए, पूरे देश में ईवीएम की जगह पहले की तरह मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। मतपत्र के जरिए मतदान किसी देश की निर्वाचन प्रक्रिया के लिए कहीं अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी पद्धति है।’’
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने दलील दी कि इसी तरह के विषय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी थे, जिसने उनका निस्तारण कर दिया है। आयोग की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चार हाई कोर्ट इस विषय पर पहले ही फैसला कर चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की मौजूदा प्रणाली का समर्थन किया था। याचिका में कहा गया है, ‘‘ईवीएम ने भारत में मतपत्र प्रणाली की जगह ले ली, लेकिन इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और अमेरिका सहित विश्व के कई देशों ने ईवीएम का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर रखा है।’’