दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि जो लोग सांसद, विधायक या नौकरशाह नहीं हैं, ऐसे कितने लोग सरकारी बंगलों पर काबिज हैं और कितने समय से काबिज हैं। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि वे जानना चाहते हैं कि सरकारी बंगलों पर कथित तौर पर अवैध रूप से काबिज कितने लोग किसी पद पर हैं और कितने समय से वे अवैध रूप से काबिज हैं।
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केंद्र को मौखिक निर्देश देते हुए पीठ ने कहा, ‘‘काफी लोग बिना किसी पद पर रहते हुए सरकारी बंगले पर काबिज हैं।’’ पहले की एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया गया है जिसमें कहा गया कि कई सरकारी आवासों पर ऐसे लोगों ने कथित तौर पर अवैध कब्जा कर रखा है जो अब न तो सांसद, न विधायक हैं और न ही वे नौकरशाह हैं।
उच्च न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार और डीडीए को नोटिस जारी कर एक नयी जनहित याचिका पर उनका जवाब मांगा। याचिका में न्यायिक अधिकारियों के लिए सरकारी आवास की मांग की गई है। अदालत दोनों मामलों पर पांच फरवरी को एक साथ सुनवाई करेगी। नयी याचिका में एक वकील ने कहा कि कई न्यायिक अधिकारियों के पास सरकारी आवास नहीं है जिससे उन्हें दूरदराज के इलाकों में किराये के मकान में रहना पड़ रहा है।