दिल्ली हाई कोर्ट ने एक पूर्व सैन्यकर्मी को असम में ‘लिव इन रिलेशन’ से जन्मीं बच्ची का संरक्षण देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह याचिका उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि बच्ची का जन्म असम में हुआ और वह फिलहाल अपने नाना नानी के संरक्षण में हैं, इसलिए याचिकाकर्ता राहत पाने के लिए गुवाहाटी हाई कोर्ट का रुख कर सकता है।
पूर्व सैन्यकर्मी के लिव इन रिलेशन से दो बच्चे हैं। उसके पार्टनर की गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं के चलते 2015 में मौत हो गई थी। पार्टनर उस वक्त गर्भवती थी। इस रिश्ते से जन्मा बेटा पूर्व सैन्यकर्मी और उसकी पत्नी के साथ दिल्ली में है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने कहा कि चूंकि नाबालिग लड़की जिसके संरक्षण की मांग की जा रही है वह गुवाहाटी में रहती है,जो इस कोर्ट के अधिकारक्षेत्र से बाहर है इसलिए वह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हेबियस कॉर्पस) पर विचार नहीं कर सकती।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता जनवरी में अपने वकील के साथ बेटी से मिलने गया था और उसके संरक्षण की मांग की थी लेकिन बच्ची के रिश्तेदारों ने संरक्षण देने से इनकार कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद पूर्व सैन्यकर्मी ने अपनी नाबालिग बच्ची के संरक्षण के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत पाने के लिए गुवाहटी हाई कोर्ट का रुख करने को कहा।