दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश देते हुए डिजिटल सिग्नेचर और सुरक्षा विशिष्टताओं के साथ ऑनलाइन डिग्री, मॉर्कशीट और कॉपी जारी करने के संबंध में जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि दीक्षांत समारोह में देरी, आंकड़ा भेजने में देरी के कारण डिग्री भेजने में समय लग जाता है और कई वर्षों तक छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) को नोटिस जारी किया और एनएडी तथा डीयू के बीच हुए समझौते के बारे में अवगत कराने के लिए अगली सुनवाई में एक वरिष्ठ अधिकारी को आने को कहा। एनएडी के जरिए ऑनलाइन अकादमिक प्रमाणपत्र मुहैया कराया जाता है।
हाई कोर्ट ने एनएडी को डीयू से मिले डाटा की स्थिति के बारे में भी अवगत कराने को कहा। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘चूंकि एनएडी एक विशिष्ट फीचर है और छात्रों को अकादमिक रिकॉर्डस उपलब्ध कराने के लिए नेशनल डिपोजिटरी का काम करता है, इसलिए डीयू को भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। छात्रों से जुड़े सभी मौजूदा डाटा को एनएडी में स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।’’
न्यायाधीश ने यूनिवर्सिटी को डिजिटल सिग्नेचर और सुरक्षा विशिष्टता के साथ डिग्री और मॉर्कशीट समेत अन्य कागजात जारी करने के संबंध में तुरंत प्रोटोकॉल तैयार करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने पांच डॉक्टरों की एक याचिका पर यह आदेश दिया जिन्होंने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। यह कॉलेज डीयू के मेडिकल साइंस फैकल्टी का हिस्सा है। वर्ष 2018 में पाठ्यक्रम पूरा करने के बावजूद डिग्री प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था।