दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार देर रात हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के गुनहगारों की निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति मनमोहन एवं न्यायमूर्ति संजीव नरुला की खंडपीठ ने देर रात हुई सुनवाई के दौरान चार में से तीन गुनहगारों -पवन, विनय एवं अक्षय की निचली अदालत के जज धर्मेंद, राणा के आज के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी।
न्यायालय ने कहा कि याचिका में कोई तथ्य नजर नहीं आता जिससे की मृत्युदंड पर रोक लगाने का आदेश दिया जा सके। खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील ए पी सिंह को कड़ फटकार लगायी और कहा कि अब गुनहगारों को भगवान के घर जाने का समय नजदीक आ गया है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘अब आपका (भगवान) के घर जाने का समय नजदीक आ गया है। हमारा समय मत खराब कीजिए।’’
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश सुनाने के बीच ही शम्स ख्वाजा नामक वकील दोषियों की ओर से पेश हुए और उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिकाएं खारिज किये जाने को लेकर उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करने लगे।
न्यायालय ने याचिका खारिज करने का मौखिक आदेश देने के बावजूद श्री ख्वाजा की दलीलें सुनीं और देर तक आधिकारिक आदेश रुका रहा। अंतत: न्यायालय ने कुछ देर बाद उन्हें सुनने के बाद फिर से याचिका खारिज होने का आदेश लिखवाया।
सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति मनमोहन ने याचिकाकर्ताओं के वकील ए पी सिंह से पूछा कि यह किस तरह की याचिका है, न तो लिस्ट ऑफ अपडेट है और न ही कोई मेमो, न संलग्न दस्तावेजों का ब्यौरा। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि यह याचिका अधूरी है। इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
श्री सिंह ने कहा, ‘‘हम पटियाला हाउस कोर्ट के उस आदेश को चुनोती दे रहे हैं जिसके तहत मेरे मुवक्किल पवन, विनय ओर अक्षय की फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि एक याचिका मानवाधिकार आयोग में लंबित है, एक राष्ट्रपति के पास। बिहार में एक तलाक याचिका लंबित है। एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। एक याचिका चुनाव आयोग में लंबित है। ऐसे में फांसी कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि याचिका के साथ संबंधित दस्तावेज इसलिए नहीं लगा पाया क्योंकि कोरोना वायरस की दहशत के कारण कोर्ट में फोटो कॉपी मशीन की दुकान बंद थी। श्री सिंह ने तिहाड़ जेल के अधिकारी सुनील गुप्ता की किताब ‘ब्लैक वारंट’ का भी हवाला दिया।