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इंदिरा गांधी अस्पताल के संचालित नहीं होने पर HC ने जताई नाराजगी, कहा-‘कड़वे अनुभवों’ से लेनी चाहिए सीख

दिल्ली हाई कोर्ट ने 1,241 बिस्तर वाले इंदिरा गांधी अस्पताल के अब तक पूर्ण रूप से संचालित नहीं होने को लेकर दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई है।

दिल्ली में कोहराम मचा रही कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी अस्पताल के संचालित नहीं होने को लेकर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। इस अस्पताल में अभी केवल 80 बेड ही उपलब्ध हैं वो भी बिना कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य को महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान लोगों के ‘‘कड़वे अनुभवों’’ से सीख लेनी चाहिए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अस्पताल को पूरा करने के काम को यदि गंभीरता से लिया होता तो अब तक यह तैयार हो चुका होता और इसका संचालन हो रहा होता। वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ से कहा था कि इस अस्पताल को पूरा करने का काम अत्यावश्यक नहीं था क्योंकि वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में करीब 4,500 बेड उपलब्ध हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि कई विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं, यदि तीसरी लहर (महामारी की) आती है और आपका संस्थान पूरी तरह से तैयार नहीं है तो हमें फिर से इस हालात का सामना करना पड़ेगा।’’ मेहरा ने कहा था कि बड़ी संख्या में बेड की उपलब्धता को देखते हुए अस्पताल को पूर्ण रूप से क्रियाशील करने की कोई ‘‘गंभीर आवश्यकता’’ नहीं है।
पीठ ने कहा कि भले दिल्ली सरकार का यह कहना है कि बेड की उपलब्धता संबंधी हालात में सुधार आया है लेकिन कुछ दिन पहले तक के जो हालात थे उन्हें हाई कोर्ट भूल नहीं सकती जब कोविड-19 के मरीज ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की खातिर, अस्पताल में भर्ती होने के लिए दर-दर भटक रहे थे। कई लोगों को तो उपचार तक नहीं मिल पाया और उनकी मृत्यु हो गई।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी की तीसरी और बड़ी लहर आएगी, ऐसे में राज्य को संसाधनों का पूरा इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य देखभाल संबंधी परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द परिचालन योग्य बनाना चाहिए। इस पर मेहरा ने कहा कि राज्य की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती गई है बल्कि केंद्र सरकार ने अपने वादे के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी को बेड आवंटित नहीं किए। 
कोर्ट ने इस बाबत दस दिन के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए मामले को 24 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। कोर्ट को सूचित किया गया था कि इंदिरा गांधी अस्पताल में महज 80 बेड ही उपलब्ध हैं और उनमें से केवल आठ पर मरीज भर्ती हैं। उसे बताया गया था कि अस्पताल में पाइप्ड ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर भी उपलब्ध नहीं हैं।

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