सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के अमल पर रोक लगा दी है जिसमें सामुदायिक कुत्तों को खाने का अधिकार है और नागरिकों को उन्हें खिलाने का अधिकार है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की शीर्ष अदालत की पीठ ने शुक्रवार को स्वयंसेवी संस्था ‘ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपल एंड एनिमल’ की विशेष अनुमति याचिका पर दिल्ली सरकार और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया तथा अन्य को को नोटिस जारी जवाब तलब किया है।
हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष दिया था फैसला
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे आर मिधा की एकल पीठ ने पिछले वर्ष जून के अपने फैसले में कहा था कि आवारा कुत्ते एक समुदाय के जीव हैं। उन्हें भोजन का अधिकार है। आम लोगों को उन्हें एक तय स्थान पर खिलाने का अधिकार है। आवारा कुत्तों को खिलाने के स्थान नगर निगम या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के विचार विमर्श के आधार पर तय किए जाएंगे ‘ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपल एंड एनिमल्स’ ने उच्च न्यायालय के ऐसे फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
लोगों की जान के लिए खतरनाक साबित हो रहें आवारा कुत्तें : वकील
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला उच्चतम न्यायालय के 2015 के एक फैसले के उलट है। फैसले के खिलाफ अपील दायरकर्ता के वकील र्निमेश दुबे ने दलील देते हुए कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के कारण लोगों की जान के लिए खतरनाक साबित हो रहें आवारा कुत्तों को भी नहीं पकड़ जा सकता। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के फैसले से आवारा कुत्तों की संख्या में तेज वृद्धि होगी जिससे लोगों की जान को खतरा बढ़ गया है।