दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाये जाने संबंधी एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि इसे केवल उस अदालत के समक्ष दायर किया जा सकता है जहां मुख्य मामला लंबित है।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने कहा कि प्रथमदृष्टया इस विवाद में किसी अन्य अदालत के पड़ने और शिकायतकर्ता तथा वह व्यक्ति जिसके खिलाफ शिकायत की गई है उनके मामले के गुण-दोष पर फैसला करने की उसे जरूरत नहीं है।
अदालत एक व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसे बदनाम करने से एक महिला को रोके जाने और कथित अपमानजनक सामग्री को हटाये जाने का अनुरोध किया गया है। व्यक्ति ने मानहानि के लिये क्षतिपूर्ति की भी मांग की है।
मानहानि के आरोप कार्य स्थल पर महिला द्वारा व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत और कानूनी कार्रवाई के बारे में है।
अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह प्रतीत होता है कि जब यौन उत्पीड़न के ऐसे मामलों में शिकायकर्ता आगे आई है, खुद की पहचान की और कानूनी उपायों का सहारा लिया है तो उन्हें मीडिया में जाने से रोके जाने का आदेश केवल उस अदालत द्वारा दिया जा सकता है जहां मामला पर सुनवाई चल रही है।