दिल्ली हाई कोर्ट ने मैट्रिक्स सेलुलर सर्विसेज की, उसके जब्त किए गए ऑक्सीजन सांद्रकों को वापस देने के अनुरोध वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसने ऐसे वक्त में परेशान लोगों को अत्यधिक दामों पर ‘‘बिना जांच किए’’ उपकरण बेचे जब कोविड-19 मामले बेतहाशा बढ़ रहे थे और मरीजों के लिए ऑक्सीजन की भारी कमी थी। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कंपनी को कोई राहत न देते हुए कहा कि उसने ‘‘कानूनों, नियमों और शासकीय आदेशों का उल्लंघन’’ करते हुए भारी मुनाफे में ऑक्सीजन सांद्रकों को कथित तौर पर बेचा।
अदालत ने यह भी कहा कि एक जीवनरक्षक मशीन होने के कारण ऑक्सीजन सांद्रक ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून के तहत दवा के रूप में परिभाषित हैं और इसलिए ‘‘प्रतिवादी (पुलिस) की कार्रवाई गैरकानूनी नहीं दिखाई देती। खासतौर से तब जब दवाओं, सिलेंडरों, सांद्रकों की भारी कमी है और मरीजों के परिजन इसे खरीदने के लिए परेशान हो रहे हैं तथा अपने जीवन भर की बचत खर्च कर रहे हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘तथ्य यह दिखते हैं कि याचिकाकर्ता इन उपकरणों को परेशान लोगों को बिना जांच वाले और झूठे प्रतिवेदन के जरिए अत्यधिक दामों पर बेचने में शामिल था और वह भी तब जब राज्य तथा पूरे देश में कोविड-19 के मामले बेतहाशा बढ़ रहे थे तथा ऑक्सीजन सिलेंडरों तथा सांद्रकों की भारी कमी थी।’’ उसने अपने आदेश में कहा कि ‘‘जब्त किया गया सामान संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया जहां लोग कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के नियमों का कथित उल्लंघन कर रहे थे और इसके अनुसार पुलिस को घटनास्थल पर मिले ऑक्सीजन सांद्रकों को जब्त करने का अधिकार है।’’ अदालत ने कहा कि चूंकि जांच शुरुआती स्तर पर है तो इसलिए भी कंपनी को राहत नहीं दी जा सकती।
बहरहाल, हाई कोर्ट ने पुलिस को जब्त किए गए सांद्रकों की पहचान के लिए उन पर चिह्न लगाने तथा भविष्य के संदर्भ के लिए उनकी रंगीन तस्वीरें खींचने का निर्देश दिया। इस निर्देश के साथ ही हाई कोर्ट ने मैट्रिक्स सेलुलर की उसके परिसर से जब्त किए 419 ऑक्सीजन सांद्रक वापस देने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी। कंपनी ने दावा किया था कि यह जब्ती गैरकानूनी है। ऑक्सीजन सांद्रकों की कालाबाजारी के मामले में मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के सीईओ तथा उपाध्यक्ष समेत चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था तथा अभी वे जमानत पर हैं।