दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार और सरकारी विभागों को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि जिन वकीलों की उन्होंने सेवाएं ली हैं उनकी फीस का भुगतान नियम समय पर कर दिया तथा वकीलों को अपना बकाया प्राप्त करने के लिए याचिका दायर करने पर मजबूर नहीं होना पड़े।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में यह नहीं होना चाहिए कि जिन वकीलों की सेवा ली गई है उन्हें फीस के भुगतान के लिए अपने मुवक्किल पर मुकदमा दायर करना पड़े। एक वकील ने फीस का भुगतान नहीं किए जाने के कारण दिल्ली सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। अदालत ने दिल्ली सरकार को लंबित भुगतान एक महीने के भीतर अदा करने का निर्देश देते वक्त यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता वकील को इस अदालत में आने पर मजबूर होना पड़ा और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। संबंधित सरकारों/विभागों से उम्मीद की जाती है कि वे नियत समय पर वकीलों के बिलों का भुगतान करेंगे।’’
याचिकाकर्ता वकील के मुताबिक दिल्ली सरकार ने उन्हें 24 जून 2016 को अतिरिक्त स्थायी वकील (दीवानी) नियुक्त किया था। जुलाई 2016 से अगस्त 2017 के बीच उन्होंने पेशेवर सेवाएं देने के बदले कुल 26,31,200 रूपये के 124 बिल जमा करवाए जिन्हें मंजूरी नहीं मिली जिसके बाद वकील को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।