राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर के पास एक कार्यक्रम के आयोजकों में से एक की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा। पिछले महीने हुए उस कार्यक्रम में कथित तौर पर सांप्रदायिक नारे लगाए गए थे। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने आयोजक प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
प्रीत सिंह को गिरफ्तारी के बाद 10 अगस्त को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। प्रीत सिंह पर आठ अगस्त को जंतर मंतर पर आयोजित एक रैली के दौरान विभिन्न समूहों के बीच कटुता पैदा करने और युवाओं को एक विशेष धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए उकसाने का आरोप है।
प्रीत सिंह ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि वह “किसी भी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने या नारेबाजी में शामिल नहीं थे।” अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने 27 अगस्त को प्रीत सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि संविधान के तहत एकत्र होने का अधिकार और अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है, लेकिन यह परम नहीं है और उचित प्रतिबंधों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है।
हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेज और अभियोजन पक्ष द्वारा दी गयी दलीलों के आधार पर कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता से और कार्यक्रम के मुख्य आयोजक के रूप में भी सक्रिय भागीदारी की थी। सेशन कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा अनुमति देने से इनकार किए जाने और केंद्र सरकार के कोविड दिशानिर्देशों की अवहेलना कर जंतर मंतर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मामले में अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।